राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 जनवरी। राजनांदगांव नगर निगम के निर्दलीय पार्षदों ने प्रभारी मंत्री के समक्ष अपना दर्द बयां करते संगठन की बेरूखी को लेकर शिकायतों का पिटारा खोल दिया। शुक्रवार को निर्दलीय पार्षदों ने राजधानी रायपुर में प्रभारी मंत्री से मुलाकात के दौरान निगम की सत्ता में अहम भूमिका निभाने के बावजूद संगठन द्वारा कांग्रेसी नहीं माने जाने को लेकर अपनी पीड़ा का इजहार किया।
बताया जाता है कि प्रभारी मंत्री ने निर्दलीय पार्षदों की तकलीफ को सुनकर जल्द ही इस मसले पर निर्णय लेने का भरोसा दिया है। राजनांदगांव नगर निगम में निगम अध्यक्ष हरिनारायण धकेता समेत आधा दर्जन से अधिक पार्षद निर्दलीय चुनकर निगम के सदन में पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि निर्दलीय पार्षदों के बूते ही कांग्रेस निगम की सत्ता में काबिज हुई है। कांग्रेस को समर्थन देने के सूरत में निर्दलीय पार्षद हरिनारायण धकेता सभापति चुने गए। इसी तरह एमआईसी में भी निर्दलीय पार्षदों को राजनीतिक समीकरण के तहत जगह मिली। बताया जा रहा है कि अघोषित रूप से सभी को कांग्रेस का सदस्य मान लिया गया, लेकिन संगठन स्तर पर उन्हें आज भी निर्दलीय माना जाता है।
बताया जा रहा है कि निर्दलीय पार्षदों का दर्द उस समय छलका, जब प्रभारी मंत्री ने निगम की मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर चर्चा की। मौका मिलते ही निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस शहर संगठन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शहरी राजनीति के मुख्य कड़ी होने के बावजूद निर्दलीय पार्षदों को संगठन में तवज्जो नहीं दिया जा रहा है। इसी बात से निर्दलीय पार्षद और संगठन के बीच अंदरूनी खींचतान बढ़ी है।
बताया जा रहा है कि प्रभारी मंत्री ने फिलहाल निर्दलीय पार्षदों को संगठन के साथ तालमेल बनाकर काम करने की हिदायत दी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इस मामले की सांगठनिक स्तर पर बैठक लेकर सुलझाया जाएगा। कुछ निर्दलीय पार्षदों ने अपनी उपेक्षा को लेकर भी शिकायत की है। बताया जा रहा है कि शहर संगठन और निर्दलीय पार्षदों के बीच हाल ही के वर्षों में मनमुटाव बढ़ा है। पूरा मामला सियासी वर्चस्व से जुड़ा हुआ है। निर्दलीय पार्षदों ने कल प्रभारी मंत्री के सामने वार्ड की समस्याओं को लेकर भी जानकारी दी। कुल मिलाकर नांदगांव में कांग्रेस संगठन और निर्दलीय पार्षदों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है।