राजनांदगांव
विभागीय कार्रवाई का अब तक अता-पता नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 फरवरी। खैरागढ़ वन मंडल के घोटिया-तोतलभर्री इलाके में अंधेरे में सागौन तस्करी करते ग्रामीणों के हाथ सपड़ाए आईटीबीपी के जवानों पर प्रशासन ने जुर्माना ठोंका है। वहीं वन महकमे ने भी करीब 10 हजार रुपए का दंड जवानों पर लगाया है। हालांकि इस कार्रवाई को महज खानापूर्ति बताया जा रहा है। जिले में तैनात आईटीबीपी के जवानों को घोटिया के ग्रामीणों ने रंगे हाथ वाहन में सागौन की बल्लियों की तस्करी करते घेर लिया था।
बताया जाता है कि आईटीबीपी के जवानों ने तस्करी करने के बावजूद अपना धौंस दिखाते ग्रामीणों को ही घेरने की कोशिश की। ग्रामीणों के एकजुट होने के बाद जवान कमजोर पड़े। इस मामले में आईटीबीपी की काफी किरकिरी हुई। पैरामिलिट्री फोर्स आईटीबीपी को नक्सलियों से लडऩे के लिए तैनात किया गया है। ऐसे में उनके इस करतूत से फोर्स की साख पर प्रतिकूल असर पड़ा। लिहाजा दिल्ली मुख्यालय ने सीधे डीआईजी छोटाराम जाट को बतौर सजा बर्फीले इलाके लेह में स्थानांतरित कर दिया। वहीं जवानों के विरूद्ध विभागीय जांच शुरू की गई।
बताया जाता है कि दिल्ली मुख्यालय से एक टीम जांच के लिए पहुंची थी। कथित तस्करी में जवानों के कलमबंद बयान लिए गए। उधर वन खैरागढ़ मंडल ने 10 हजार रुपए का जुर्माना ठोंकते हुए मामले को राजस्व अमले को सौंप दिया। डोंगरगढ़ एसडीएम अविनाश भोई ने मामले की जांच करते प्रशासन से अर्थदंड के रूप में अतिरिक्त राशि लेने की सिफारिश की है। हालांकि पूरी कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सागौन तस्करी एक संगीन मामला है। ऐसे में जिम्मेदार पद पर बैठे जवानों द्वारा तस्करी किए जाने के मामले में जुर्माने को एक खानापूर्ति माना जा रहा है।