बीजापुर
लखमा और मण्डावी की चुप्पी पर उठाए सवाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 19 मई। पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने सिलगेर मामले को लेकर आदिवासियों के खिलाफ साजिश की बात कहते सवाल किया है कि इस मसले पर आबकारी मंत्री कोण्टा विधायक कवासी लखमा एवं बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व स्थानीय विधायक विक्रम शाह मण्डावी की चुप क्यों हैं?
पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा एवं भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीनिवास राव मुदलियार ने यहां पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते कहा कि जब पांच दिनों से सुकमा जिले के सिलगेर गांव में सुरक्षाबलों के कैम्प खोले जाने का लोग विरोध कर रहे थे तब न तो कोण्टा विधायक कवासी लखमा वहां पहुंचे और न ही बीजापुर विधायक विक्रम मण्डावी। नैतिकता के आधार पर दोनों कांग्रेसी नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा नेता द्वय ने कहा कि विरोध को दबाने के कई तरीके हो सकते हैं। इसका हल हिंसा ही नहीं है। बातचीत और समझाईश से हल निकाला जा सकता था लेकिन कांग्रेस नेता यहां नहीं पहुंचे। इससे ऐसी स्थिति निर्मित हुई। प्रदेश के सीएम और गृहमंत्री ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। इससे आदिवासियों के खिलाफ किसी गहरी साजिश की आशंका है।
श्री गागड़ा ने कहा कि कांग्रेस ने मेनीफेस्टो में निर्दोष आदिवासियों की जेलों से रिहाई की बात कही थी लेकिन ये वादा खोखला निकला। उलट, अब तो आदिवासी मारे जा रहे हैं। इनकी कोई सुनवाई नहीं है। सिलगेर घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते भाजपा नेताओं ने कहा कि अब आईजी पी. सुंदरराज सिलगेर में पहले नक्सलियों की ओर से गोलीबारी का आरोप लगा रहे हैं जबकि ग्रामीणों का कहना है कि वहां कोई नक्सली नहीं था।
उच्चस्तरीय जांच हो
इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मृतकों एवं घायलों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। मारे गए लोगों के परिवारों को एक-एक करोड़ रूपए के मुआवजे की मांग करते महेश गागड़ा ने बताया कि वे भी मौके पर जाना चाहते थे लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें जाने से मना कर दिया गया। पार्टी के कुछ स्थानीय लोगों ने गांव जाकर पीडि़त परिवारों से मुलाकात की और उनकी आपबीती सुनी। सबसे बड़ी बात तो ये है कि पंचायत में कोई भी काम होने से पहले ग्राम सभा होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ग्रामीणों को विष्वास में नहीं लिया गया। इस वजह से भी ग्रामीण नाराज हैं।