विशेष रिपोर्ट
कांकेर और नांदगांव दो हिस्सों में बंटा गांव
विशेष रिपोर्ट : प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 17 अप्रैल (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। शहर से लगभग 15 किमी दूर स्थित रानीतराई के बाशिंदे 26 अप्रैल को दूसरे चरण के चुनाव में दो लोकसभा सांसदों की किस्मत पर ईवीएम में बटन दबाएंगे।
रानीतराई एक ऐसा गांव हैं, जिसका एक हिस्सा राजनंादगांव और दूसरा हिस्सा कांकेर लोकसभा के अधीन है। इस गांव के मतदाता न सिर्फ बल्कि सभी चुनाव में दो हिस्सों में बंटकर मतदान करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि गांव में कई ऐसे पड़ोसी भी हैं, जो राजनांदगांव और कांकेर लोस के लिए वोट डालते हैं।
इन दिनों गांव में चुनावी स्थिति को लेकर ग्रामीणों की आपसी चर्चाएं भी चल रही है। होटल अथवा गांव के चौपाल में उम्मीदवारों को लेकर ग्रामीण तार्किक रूप से सवाल-जवाब कर रहे हैं। यह भी सच है कि ग्रामीणों के दिलो-दिमाग में राजनीतिक दलों की स्थिति को लेकर नाराजगी बसी हुई है।
कांकेर और राजनांदगांव लोकसभा के लिए पिछले आम चुनाव में वोट डालने वाले गांव के मतदाता भाजपा सांसद संतोष पांडे और कांकेर के निवर्तमान सांसद मोहन मंडावी के कार्यशैली से बेहद दुखी हैं। पिछले चुनाव के बाद दोनों ने गांव का रूख नहीं किया।
मतदाता 26 अप्रैल को होने वाले मतदान को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। यानी रानीतराई गांव के बाशिंदों ने चुनाव को लेकर अपना पक्ष साफ नहीं किया है।
गांव के बुजुर्ग बाबूलाल साहू राजनांदगांव लोकसभा के मतदाता हैं। उनका कहना है कि वह सांसद पांडे के कामकाज से खफा हैं। मतदान करने के पूर्व सभी तरह की परिस्थितियों के आधार पर फैसला लेकर वोट करेंगे।
इसी तरह कांकेर लोकसभा के मोहनलाल साहू ने कहा कि गांव के विकास को लेकर कभी भी सांसद मोहन मंडावी ने रूचि नहीं ली। उन्हें कोई पहचानता भी नहीं है। जबकि चुनाव पूर्व कई तरह के वादे किए गए थे।
चंद्रहास साहू का कहना है कि उनके लिए सभी प्रत्याशी समान है, लेकिन वह इस बात को लेकर दुखी हैं कि राजनंादगांव सांसद ने गांव का रूख नहीं किया।
ग्रामीणों को राजनीतिक स्थितियों का बखूबी ज्ञान है। यानी वह अपने क्षेत्रीय विधायक और सांसद की स्थिति को लेकर जानकारी लेते रहे हैं।
राजनांदगांव जिले के रानीतराई और आश्रित ग्राम आलीखूंटा में कुल 1266 मतदाता हैं, जिसमें 639 महिलाएं और 627 पुरूष हैं। वहीं कांकेर लोकसभा के बालोद जिले के रानीतराई में बोईरडीह आश्रित ग्राम है। यहां 1286 मतदाता हैं, जिसमें 651 महिला और 635 पुरूष हैं।
ग्रामीणों की ओर से लोकसभा चुनाव के बीच पूरे गांव को राजनांदगांव जिले में शामिल करने की मांग की है। रानीतराई के ग्रामीण कांकेर की दूरी को लेकर काफी परेशान हैं। उनके लिए राजनांदगांव शहर नजदीक है। गांव में चुनावी शोर एकदम से सुस्त पड़ा हुआ है।
भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि मोर्चा सम्हाले हुए हैं, लेकिन उससे माहौल नहीं बन पाया है।