विशेष रिपोर्ट
![हरे सोने का बड़ा खेल, एमपी का खपा रहे छत्तीसगढ़ में हरे सोने का बड़ा खेल, एमपी का खपा रहे छत्तीसगढ़ में](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1715948967MG20240513120647.jpg)
चंद्रकांत पारगीर की विशेष रिपोर्ट-
बैकुंठपुर, 17 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। भरतपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों से मध्यप्रदेश का हरा सोना कहा जाने वाला तेंदूपत्ता छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में तेंदूपत्ता माफिया सक्रिय है, मध्यप्रदेश के तेंदूपत्ता को 350 रू प्रति गड्डी लेकर छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों के कार्ड में 10 हजार से 20 हजार गड्डी की एंट्री कर दी जा रही है।
मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के जनकपुर और कुंवारपुर परिक्षेत्र के साथ कोरिया जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों के कई फड़ों में खपाया जा रहा है। यदि एक एक कार्ड की जांच हो तो कई खुलासे हो सकते हंै कि एक दिन में 10 हजार से ज्यादा गड्डी कोई एक परिवार कैसे तोड़ सकता है।
इस संबंध में जनकपुर परिक्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी चंद्रकेश्वर सिंह का कहना है कि कल भी हम लोगों ने रात्रि गश्त किया है, पूरी कोशिश है कि मध्यप्रदेश से तेंदूपत्ता यहां नहीं आ पाए, पूरी निगरानी बरती जा रही है। कई क्षेत्रों में हमने बैरियर भी लगाए है। आप बता रहे हंै तो और गश्ती तेज कर देते हंै।
वनमंडल मनेन्द्रगढ अंतर्गत परिक्षेत्र जनकपुर और कुंवारपुर में इन दिनों तेंदूपत्ता में बड़ा गड़बड़झाला किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के सीधी जिले से तेंदूपत्ता की पत्तियों को छत्तीसगढ़ के फड़ों में आसानी से खपाया जा रहा है, इनमें बड़वाही यहां दो फड़ है, इसके अलावा जेवमठ, जेवा, दुबरी, बिंटरपुरी, चिनरावाह, महदौली, माड़ीसरई, घुघरी, हरचौका, पटेराटोला, हरदी, दंदरी, कोटा, पिपरहा, हर्रहा, गिजोहर, लवाही, पनखोड़ा फड़ों में रोजाना 30 से 40 हजार तेंदूपत्ता की गड्डी मध्यप्रदेष से लाकर खपाई जा रही है। छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के सीधी जिले की सीमा से लगा हुआ है। यहां एक एक कार्ड में 10 हजार से 20 हजार गड्डियों की एंट्री की जा रही है।
रात में 12 बजे के बाद आ रहा
सीधी क्षेत्र से आने वाला तेंदूपत्ता का खेल रात 12 बजे के बाद शुरू होता है, इसके लिए इसमे शामिल माफिया गर्मी के मौसम का पूरा फायदा उठा रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में जंगलों से छत्तीसगढ़ पहुंचने के कई रास्ते हैं, जिनसे आसानी से पहुंचा जा सकता है।
छोटे नदी नालों में पानी कम हो गया है, बाइक में तेंदूपत्ता बांध कर नदी पार कर यहां लेकर आ रहे हंै, रात 12 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक यह खेल जारी रहता है। इस खेल में फड़ में किसको कितनी गड्डी दी जानी है, इसकी पूरी सेंटिंग पहले से की जा चुकी होती है। रातोंरात में लाकर तय घरों में तेंदूपत्ता की गड्डियों वितरित कर दी जाती है।
पार्क में प्रतिबंधित
गुरू घासीदास नेशनल पार्क में तेंदूपत्ता के तोडऩे पर प्रतिबंध लगा हुआ है, यहां ग्रामीणों को नकद राशि प्रोत्साहन के रूप में प्रदान की जाती है, परन्तु बावजूद इसके यहां ग्रामीण बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता तोड़ते हंै और तोड़े हुए पत्तों को जनकपुर कुंवारपुर परिक्षेत्र के अलावा कोरिया जिले के सीमा पर स्थित तेंदूपत्ता फड़ों में जाकर बेच देते हंै, वहीं सीधी जिले में स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क मेंं स्थानीय लोगों को तेंदूपत्ता तोडऩे की अनुमति दे दी गई है, और वहां दर कम होने के कारण वहां का पत्ता छत्तीसगढ़ आ रहा है। जिसे लेकर वन विभाग किसी भी तरह रोक लगाने की कोशिश नहीं कर पाता है। इस दिनों दोनों नेशनल पार्क से काफी मात्रा में तेंदूपत्ता आ रहा है।
मध्यप्रदेश में 4000 तो छत्तीसगढ़ में 5500
मध्यप्रदेश में तेंदूपत्ता की दर 4000 रू मानक बोरा है, जबकि छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा की सरकार ने 5500 मानक बोरा दिए जाने की घोषणा की है, यही कारण है कि मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों से तेंदूपत्ता लाकर छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है, इसके तेंदूपत्ता माफिया सक्रिय है।
डेढ़ हजार का फर्क होने के कारण बड़ी मात्रा में तेदूपत्ता छत्तीसगढ़ पहुंच रहा है, जिस पर अब तक किसी की नजर नहीं पड़ी है, ऐसा कोरिया जिले के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में भी ऐसा हो रहा है, जो सीधी की सीमा से लगे हुए हंै। इसी तरह पूर्व में मध्यप्रदेश का धान भी छत्तीसगढ लाकर खपाया जा चुका है।