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नयी दिल्ली, 24 जून। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने का निचली अदालत का आदेश ‘‘विकृत’’ निष्कर्षों पर आधारित है।
ईडी ने उच्च न्यायालय से कहा कि निचली अदालत ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन के अपराध में केजरीवाल की ''पूर्ण रूप से संलिप्तता'' को प्रदर्शित करने वाली सामग्री पर विचार नहीं किया।
ईडी ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग करने वाली अपनी याचिका के संबंध में दायर हलफनामे में तर्क दिया कि आदेश में ''क्षेत्राधिकार संबंधी दोष'' है, क्योंकि उसे अपना मामला रखने के लिए उचित अवसर नहीं दिया गया।
निचली अदालत की अवकाशकालीन न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश नियाय बिंदु ने 20 जून को धन शोधन मामले में केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धन शोधन मामले में अपराध की आय से उन्हें जोड़ने वाले प्रत्यक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा है।
ईडी ने कहा कि निचली अदालत ने उसके वकील से अपनी दलीलें 'छोटी' करने को कहा और कानूनी उपायों का लाभ उठाने के उसके अधिकार को भी सीमित कर दिया गया, क्योंकि जमानत आदेश अगले दिन सुबह 11 बजे के बाद तक अपलोड नहीं किया गया।
इसने कहा कि केजरीवाल की जमानत रद्द की जानी चाहिए क्योंकि यह ''अवैध और विकृत'' है, अप्रासंगिक विचारों पर आधारित है, तथा प्रासंगिक सामग्री की अनदेखी करती है। (भाषा)