राजनांदगांव
![नेशनल लोक दालत में 7 हजार प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक दालत में 7 हजार प्रकरणों का निराकरण](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1639304589jn__4.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 दिसंबर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार वर्चुअल और वास्तविक उपस्थिति मोड में कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिले में नेशनल लोक अदालत आयोजित करने के लिए 34 खंडपीठों का गठन किया गया था। नेशनल लोक अदालत में एमएसीटी प्रकरण में कुल 22 प्रकरण में 75 लाख 60 हजार रुपए की राशि अवार्ड के रूप में पारित हुआ। 138 एनआई एक्ट प्रकरण में कुल 81 प्रकरणों में 2 करोड़ 15 लाख 87 हजार 758 रुपए की राशि का आपसी राजीनामा से निराकरण हुआ। नेशनल लोक अदालत में 8 हजार 543 प्रकरण में से 6 हजार 924 प्रकरणों का निराकरण हुआ। जिसमें कुल 3 करोड़ 53 लाख 49 हजार 273 रुपए की राशि का निपटारा किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले यानि चेक के संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपया वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद मामलों की सुनवाई की गई।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत, विवादों का निपटान करने का एक वैकल्पिक तरीका है। यह एक ऐसा मंच है, जहां न्यायालयों में लंबित वाद-विवाद, मुकदमे या प्री-लिटिगेशन चरण के मामलों का सौहार्दपूर्ण निपटारा किया जाता है। लोक अदालतों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है। इस अधिनियम के तहत, लोक अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय को सिविल न्यायालय का निर्णय माना जाता है, जो सभी पक्षों पर अंतिम और बाध्यकारी होता है। ऐसे निर्णयों के बीच किसी भी अदालत के कानून के समक्ष अपील नहीं की जा सकती है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तालुक न्यायालयों तक सभी न्यायालयों में मुकदमों (प्री-लिटिगेशन और पोस्ट-लिटिगेशन दोनों) के निपटारे के लिए नेशनल लोक अदालतें एक दिन आयोजित की जाती हैं। विवादों के समाधान के लिए समाज के सभी वर्गों के लिए इस एडीआर फोरम को सुलभ बनाने में कोरोना काल में पेश की गई चुनौतियों को दूर करने के लिए, विधिक सेवाएं प्राधिकरणों द्वारा वर्ष 2020 में वर्चुअल लोक अदालत यानी ई-लोक अदालत शुरू की गई। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर ई-लोक अदालतों ने लाखों लोगों को अपने विवाद निपटाने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया है।