राजनांदगांव
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घाघरा घाट में बाघ की मौजूदगी पर संशय, ग्रामीणों में दहशत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 दिसंबर। खैरागढ़ वन मंडल के घाघरा के जंगल में बाघ के कथित दहाड़ सुनने की खबर की महकमा मैदानी अमले के जरिये जांच-पड़ताल कर रहा है। आला अफसरों को प्रारंभिक जांच में जंगल में पदमार्क मिले हैं, जिसे तेन्दुआ के पैर के निशान माना जा रहा है। घाघरा जंगल काफी घनघोर है।
मध्यप्रदेश की सीमा से यह इलाका जुड़ा हुआ है। घाघरा का अंदरूनी मार्ग कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाता है। पिछले दो साल से कान्हा और दूसरे अभ्यारण्यों से बाघ की आवाजाही रही है। पिछले साल भी ठेलकाडीह के आसपास बाघ के पदचिन्ह मिले थे। प्रत्यक्ष रूप से चुनिंदा ग्रामीणों ने ही बाघ की मौजूदगी देखी थी। विभाग ने सीधे तौर पर बाघ के बजाय उसके पदचिन्ह देखे थे। अब इस साल घाघरा के जंगल से गुजरने वाले रास्ते में बाघ को देखने का राहगीरों ने दावा किया है। कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया में वायरल हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक डीएफओ संजय यादव ने बाघ की मौजूदगी के बाद अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। मैदानी अमले को बाघ के संभावित ठिकानों के आसपास नजर रखने के निर्देश दिए हैं। बाघ की दहाड़ सुनने का कुछ राहगीरों ने दावा किया है। घाघरा घाट करीब 16 किमी पठारी इलाका है। पहाड़ के अलावा निचले हिस्सों में भी घने जंगल है। माना जा रहा है कि बाघ के अलावा दूसरे हिंसक जानवर भी मौजूद हो सकते हैं। इस संबंध में डीएफओ संजय यादव ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि बाघ होने की अपुष्ट जानकारी मिली है। प्रत्यक्ष रूप से अभी कुछ कहना संभव नहीं है। फिर भी जंगल में बाघ की सुरक्षा पर विशेष निगरानी बरती जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक गातापार से घाघरा के बीच के घुमावदार रास्ते में कुछ लोगों ने बाघ की उपस्थिति को लेकर दावे किए हैं। मैदानी अमले को घाघरा के बाशिंदों से भी संपर्क करने कहा गया है। घाघरा के लोग बाजार-हाट करने के लिए गातापार और खैरागढ़ का रूख करते हैं। वहीं जिन राहगीरों ने बाघ देखने का दावा किया है, उनसे भी संपर्क किया जा रहा है।
वन महकमे ने संभावना जताई है कि घाघरा के घने जंगल से आवाजाही वन्यप्राणियों की होती है। शेर अथवा बाघ के होने के दावे को गलत और सही नहीं कहा जा सकता। बगैर जांच किए दावों को खारिज नहीं किया जा सकता। लिहाजा मैदानी अमला रिपोर्ट तैयार कर रहा है। यहां यह बता दें कि पिछले कुछ सालों में राजनंादगांव जिले में बाघ शहरी इलाकों की सीमा पर नजर आए हैं। जिसके चलते बाघ की सुरक्षा खतरे में पड़ती रही है। यही कारण है कि वन महकमा बाघ की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने जोर लगा रहा है।