बालोद
अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कार्रवाई शुरू, राजस्व एवं पालिका प्रशासन की टीम ने किया निरीक्षण, अफसरों ने किया अवैध प्लाटिंग स्थल का निरीक्षण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 4 जनवरी। जिला मुख्यालय के चारो ओर की जा रही अवैध प्लाटिंग जैसी गंदगी को साफ करने राजस्व एवं पालिका प्रशासन की टीम जुट गई है। अवैध प्लाटिंग के संबंध में छत्तीसगढ़ में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन सख्त हो गए है। सरकार की किरकिरी होते देख उच्च स्तर से मिले निर्देशों के बाद एसडीएम और नगर पालिका के सीएमओ सक्रिय हो गए है। पालिका और राजस्व की संयुक्त टीम नगर के सरयू प्रसाद अग्रवाल स्टेडियम, बूढ़ापारा सहित कुछ अन्य जगहों पर हो रहे अवैध प्लाटिंग स्थल का निरीक्षण किया। अवैध प्लाटिंग स्थलों पर अधिकारियों की धमक से जमीन दलालों में हडक़ंप है।
नगर के चौक चौराहों पर भी चर्चाओं का दौर चालू हो गया है कि अब जमीन के गोरखधंधो से जुड़े लोगों पर पालिका प्रशासन की बड़ी कार्रवाही हो सकती है। अफसरों के निरीक्षण के बाद भू माफिया सकते में है। निरीक्षण के दौरान गंगाधर वाहिले अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बालोद, रोहित कुमार साहू मुख्य नगर पालिका अधिकारी बालोद, आरके शर्मा राजश्व निरीक्षक, टूमन बघेल पटवारी बालोद हल्का सहित राजश्व व पालिका के कर्मचारी मौजूद रहे।
वर्षों से चल रहा कृषि भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में प्लाटिंग का खेल
जमीन के व्यवसाय में तहसीलदार एवं पटवारी से बड़ा कोई नहीं होता ये मानकर चलने वाले भू माफियाओं की आज एसडीएम और पालिका प्रशासन ने हवा खोल दी है। गौरतलब हो कि बीते कई वर्षों से ये भू माफिया कृषि भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में प्लाटिंग करते चले आ रहे है और इस अवैध प्लाटिंग से होने वाली असीमित आय की मोटी रकम से हिस्सा पा रहे सरकारी महकमा ने सदैव इस अवैध कारोबार को संबल दिया है। जिससे शहर के आस पास दर्जनों अवैध कालोनियां बस गई है जिनमे आज भी नल, बिजली, सडक़ जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए रहवासी तरस रहे है ।
समझे वैध और अवैध प्लाटिंग का अंतर
किसी भी वैध प्लाटिंग प्रोजेक्ट में व्यपवर्तित भूमि के क्रय विक्रय के लिए कलेक्टर से विक्रय अनुमति हासिल करना जरुरी होता है। विक्रय अनुमति की प्रक्रिया में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा जांच के लिए तहसीलदार और तहसीलदार द्वारा आरआई और पटवारी को आदेशित किया जाता है। रिकार्ड जांच के बाद अधिसूचना का प्रकाशन कर दावा-आपत्ति मांगी जाती है। लेकिन अवैध प्लाटिंग के मामले में संबंधित पटवारियों द्वारा सत्यापित जानकारी के साथ ही रजिस्ट्री कर दी जाती है। इस अवैध प्लाटिंग में भवन अथवा अन्य निर्माण के लिए अनुज्ञा प्राप्त नहीं होती है। इससे निपटने क्रेता नियमविरुद्ध अधिकारी-कर्मचारी से सांठगांठ कर किसी तरह अनुज्ञा हासिल करते हैं।
अवैध प्लाटिंग और कालोनी के बनने के लिए ये दो विभाग हैं जिम्मेदार
नगर पालिका- बालोद शहर करीब 4 किमी दायरे में फैला हुआ है। इसी दायरे में पिछले 10 साल में कई अवैध कॉलोनियां विकसित हुई। नगरीय क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई का अधिकार नगर पालिका का है। ऐसा नहीं है कि ये कॉलोनियां रातों-रात बन गई हों, फिर भी नगर पालिका के नुमाइंदों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। हालत ये है कि अब तक जितने अवैध कॉलोनी बने हैं, उनके कॉलोनाइजर की सूची विभाग के पास नहीं है।
राजस्व विभाग- कृषि भूमि को टुकड़ों में प्लाट काटकर बेची जा रही है। पंजीयक आफिस में बाकायदा इसकी रजिस्ट्री भी कर दी जा रही है। जबकि रजिस्ट्री के लिए नगर पालिका से एनओसी तक नहीं पूछा जा रहा है। यही कारण है कि भू-माफिया लालच देकर किसानों की जमीन पर अवैध प्लाटिंग करा बिकवा रहे हैं। जमीन डायवर्सन के नियम को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है। इसमें भी बड़ा खेल होने की आशंका है।
बेखौफ जारी है अवैध प्लाटिंग का कारोबार
जिले में अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर यहां खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। स्थिति यह है कि शहर के आसपास इलाकों में रोज कहीं ना कहीं कॉलोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। जिला मुख्यालय के सरयू प्रसाद अग्रवाल स्टेडियम, कुन्दरूपारा, रेलवे कॉलोनी, पाररास बाईपास, बूढ़ातालाब, रामनगर, पाररास सहित आसपास के इलाकों में इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोर-शोर से हो रहा है।
सीएमओ को कार्रवाई के कहा
एसडीएम गंगाधर वाहिले एसडीएम का कहना है कि 1 नगरीय निकाय क्षेत्र के अवैध प्लाटिंग स्थलों का नगर पालिका और राजश्व विभाग की संयुक्त टीम द्वारा निरीक्षण किया है। नगरीय क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई का अधिकार नगर पालिका का है इसलिए सीएमओ को कार्रवाई करने कहा है।