बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 31 जनवरी। बालोद जिले के जलाशयों में पानी कम होने के कारण इस बार बालोद जिले में रबी की फसलों के लिए जलाशयों से पानी नहीं दिया जाएगा। बालोद जिला जल संसाधन विभाग का कहना है कि धान की फसलों में 5 गुना अधिक पानी लगता है और वर्तमान में जिस हिसाब से जलाशयों की स्थिति है, उसे देखते हुए हम रबी की फसलों के लिए पानी नहीं देंगे, वहीं कृषि विभाग का कहना है कि इस बार किसानों को हम दलहन-तिलहन के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, परंतु बालोद ब्लाक के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने बोर के पानी से खेती करने की तैयारी में है।
दलहन-तिलहन के लिए प्रोत्साहित कर रहे
किसी विभाग के उपसंचालक अनिल पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे द्वारा इस वर्ष धान की फसल लेने के लिए किसी को प्रोत्साहित नहीं किया गया है, बल्कि हम हतोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दलहन-तिलहन की फसल किसान लें, इसके लिए हमारे कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हैं, परंतु फिर भी कुछ जगहों पर लोग स्वयं के पानी से खेती कर रहे हैं।
रबी पर पाबंदी से नहीं होगी पानी की कमी
गर्मी के दिनों में प्रति व्यक्ति पानी की खपत 120 लीटर है। इस लिहाज से अगर देखें तो रबी की फसल के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को रोक दिया जाए तो, इससे बालोद जिले के लगभग 3 लाख जनसंख्या को बड़ी आसानी से पानी मुहैया कराया जा सकता है।
एक हेक्टेयर में 50 लाख लीटर पानी की जरूरत
जल संसाधन विभाग के अधिकारी जेके चंद्राकर ने बताया की एक हेक्टेयर यानि ढाई एकड़ जमीन में धान की खेती के लिए 160 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है। जानकारों के मुताबिक इतना पानी लगभग 50 लाख लीटर होता है। मौजूदा समय में 2 लाख 74 हजार 700 एकड़ खेतों में धान की फसल लगाई गई है, इसके लिए अरबों लीटर भूजल का दोहन किया जाता है। जलस्तर के घटने की यह भी एक प्रमुख वजह है।