सरगुजा
8 लोगों को संरक्षित वन क्षेत्र में राजीव आश्रय योजना का नियम विरुद्ध पट्टा मिला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 18 फरवरी। भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने शुक्रवार के अंबिकापुर प्रेस क्लब में पत्रकारवार्ता करते हुए बताया कि महामाया पहाड़ का संरक्षित वन क्षेत्र के अन्तर्गत कक्ष क्रमांक 2581 एवं कक्ष क्रमांक 2582 के अन्तर्गत करीब 900 एकड़ का वन संरक्षित वन क्षेत्र है। श्री दुबे की शिकायत पर वन विभाग के दो एसडीओ एवं तीन रेंजर के द्वारा विस्तृत जांच करायी गई।
इस संबंध में 22 पन्नों का जांच रिपोर्ट वनमण्डलाधिकारी सरगुजा को पेश किया गया, जिसमें 468 व्यक्ति अतिक्रमणकारी पाए गये। जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि उस वार्ड के 8 लोगों को संरक्षित वन क्षेत्र में राजीव आश्रय योजना का नियम विरुद्ध पट्टा मिला है। इस पर जांच कमेटी ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है।
उसी तरह जांच प्रतिवेदन में यह स्पष्ट है कि उस समय के तत्कालिन वनमण्डलाधिकारी मो. शाहीद द्वारा रिजर्व फारेस्ट कक्ष क्रमांक 2581 में झारखण्ड से आकर रिजर्व फारेस्ट में बसे 60 लोगों को 30 अप्रैल 2017 को वन अधिनियम की धारा 1927 की धारा 80 ए के तहत अंतिम बेदखली नोटिस जारी किया गया, उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बेदखली सूची में 60 में 56 एक ही अल्प संख्यक वर्ग के हैं, कमेटी ने अपने रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया है। इसी प्रकार भारतीय वन अधिनियम 80 के तहत 2008 से वर्ष 2019 तक रिजर्व फारेस्ट कक्ष क्रमांक 2581 में 74 लोगों धारा 80 के तहत नोटिस जारी की गई है और कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस जांच रिपोर्ट में 334 अतिक्रमण करने वालों की सूची है, जिनके पास कोई भी वैध कागजात नहीं है और इनके विरुद्ध वन अपराध (पी.ओ आर.) भी पंजीबद्ध नहीं है।
इस प्रकार जांच प्रतिवेदन में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि एक निजी संस्थान का मुख्य भवन एवं उसका ज्यादातर हिस्सा वनक्षेत्र के बाहर आता है, लेकिन एक किनारे की जमीन 18 डिसमिल जो संस्थान के सीमा में जो वन विभाग की है आती है, ये भी जांच का विषय है।
जांच समिति ने महामाया पहाड़ क्षेत्र के गुगल मैप को भी वर्षवार निकलवाकर देखा, जिसमें स्पष्ट होता है कि 13 दिसंबर 2005 के समय पर्याप्त वन क्षेत्र था। गुगल मैप में साफ दिखता है 2008 से 2020 के बीच बड़े पैमान पर अतिक्रमण हुआ है।
महामाया पहाड़ पर नियम विरुद्ध लगभग 500 लोगों को वन अधिकार मान्यता पत्र दे दिया गया है। जिसकी बारिकी से जांच किया जाये तो इसमें से 460 लोगों के पट्टे अवैध व नियम विरुद्ध है।
जांच रिपोर्ट के रिजर्व फारेस्ट 2581 में 108 वन अधिकार पत्र प्राप्त 108 वैद्य व्यक्तियों की सूची है, जिसमें पूर्व पार्षद शेखर झारिया का नाम है, जो घासीदास वार्ड अम्बिकापुर के पूर्व पार्षद है। इसी प्रकार मो. इस्माल अंसारी झाखण्ड का निवासी है, इसको भी वन अधिकार पत्र दे दिया गया है।
श्री दुबे ने आरोप लगाया कि पूर्व डीएफओ मो. शाहीद एवं वर्तमान डीएफओ पंकज कमल दोनों की भूमिका अतिक्रमण हटाने के मामले में संदिग्ध है। 2017 से 60 लोगों के विरुद्ध अंतिम बेदखली आदेश के बावजूद एक भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया।
श्री दुबे ने चेतावनी दी है कि एक माह के भीतर अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो पूर्व डीएफओ मो. शाहीद एवं वर्तमान डीएफओ पंकज कमल के खिलाफ न्यायालय में प्रकरण दायर करेंगे।