राजनांदगांव
छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन स्वाद से लोग दूर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 फरवरी। प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी गढ़ कलेवा योजना दम तोड़ रही है। राजनांदगांव जिला मुख्यालय में तत्कालीन प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर ने 15 अगस्त 2020 को गढ़ कलेवा की शुरूआत की थी। सरकार की इस योजना के पीछे छत्तीसगढ़ी स्वादिष्ट व्यंजनों से लोगों को स्वाद चखाना रहा है।
पिछले कुछ महीनों से कलेक्टोरेट परिसर में संचालित गढ़ कलेवा बंद पड़ी है। शुरूआत में आम लोगों से मिले बेहतर प्रतिसाद के चलते छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। कुछ महीनों के बाद पारंपरिक खानपान तो दूर चाय और नाश्ता की भी मांग कम हो गई। आखिरकार प्रज्ञा स्व सहायता समूह परेवाडीह द्वारा संचालित गढ़ कलेवा का काम समेट लिया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य के बाशिंदों को छत्तीसगढ़ी खानपान से जुड़ाव कराने के उद्देश्य से मुख्य सरकारी कार्यालयों में गढ़ कलेवा की शुरूआत की थी। गढ़ कलेवा में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ी व्यंजनों में ठेठरी-खुरमी, गुलगुला भजिया, धुसका, फरा, चीला, मूंग और उड़द बड़ा समेत अन्य पकवान परोसे जा रहे थे। पिछले कुछ महीनों से गढ़ कलेवा में ताला लटका पड़ा है।
इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि जल्द ही नए समूह को गढ़ कलेवा की जिम्मेदारी दी जाएगी। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर लोगों को पूर्व की भांति छत्तीसगढ़ी व्यंजन परोसा जाएगा। इस बीच गढ़ कलेवा की हालत न सिर्फ राजनंादगांव बल्कि अलग-अलग क्षेत्रीय कार्यालयों में भी है। खानपान के लिहाज से गढ़ कलेवा की स्थापना को सराहा जा रहा था। लोगों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन के प्रति इसके चलते भी झुकाव भी बढ़ा था। पिछले कुछ बरसों से छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़े पकवानों को सरकार बढ़ावा दे रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार की कोशिशें टिक नहीं पा रही है।