बालोद

28 साल बाद हत्यारोपी गिरफ्तार
02-Mar-2022 5:04 PM
28 साल बाद हत्यारोपी गिरफ्तार

वेश बदलकर पुलिस को दे रहा था चकमा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 2 मार्च।
जिले के गुरुर थाना क्षेत्र अंतर्गत 28 वर्ष पूर्व एक हत्या के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वे वेश बदल कर विभिन्न जगहों पर काम करता रहा और पुलिस को चकमा देता रहा। गुरुर पुलिस ने इस अपराधी को पकडऩे में बड़ी सफलता हासिल की है।

दरअसल यह मामला ग्राम सोरर थाना गुरूर का है वर्ष 1994 मे हत्या कर आरोपी फरार था। नेवई खदान पारा नेवई बस्ती जिला दुर्ग में वेश बदलकर छिपे होने की सूचना पर आरोपी को पुलिस ने धर दबोचा है।
घटना ग्राम सोरर थाना गुरूर जिला बालोद की है आज से लगभग 28 वर्ष पूर्व सोरर निवासी बलराम उर्फ बल्ला जोशी द्वारा गांव के ही चंद्रिका यादव की हत्या कर फरार हो जाने के मामले मे गुरूर पुलिस द्वारा धारा- 302 भादवि का मुकादमा दर्ज कर फरार आरोपी बलराम उर्फ बल्ला जोशी का लगातार पता तलाश की जा रही थी। पुलिस को सूचना मिला की उक्त आरोपी लुक छिप कर खदान पारा नेवई बस्ती थाना नेवई जिला बस्ती में निवासरत् है, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। आरोपी को नेवई के बस्ती खदान पारा में धर दबोचा गया।

घटना के संदर्भ में पुछताछ करने पर आरोपी द्वारा बताया गया कि वर्ष 1994 में माह जुलाई में दिन के समय करीबन 11 बजे मृतक चंद्रिका यादव, राजजीवन, मोहन, जगदीश उर्फ जंगलिया, बाबूलाल एवं आरोपी स्वयं सुखीत के घर पर ताश के पत्ते से चौरेल खेल रहे थ,े ताश खेलते खेलते रात्रि हो गई। फिर काट पत्ती का खेल शुरू हुआ मृतक चंन्द्रिका यादव, आरोपी बल्ला एवं अन्यल द्वारा अपने डबल पत्ता फेंकने से नाराज होकर उठकर बलराम उर्फ बल्ला द्वारा उठकर थप्पड़ मार दिया गया। उसके बाद चंद्रिका यादव द्वारा शराब का सेवन किया गया।

सभी के घर जाने के बाद रात 10 बजे तक उनके बीच विवाद बढ़ता गया। चंद्रिका एवं बलराम के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया था कि चंद्रिका यादव को गमछे से बलराम जोशी द्वारा गले को कसकर उसकी हत्या कर दी गई एवं मोहन घर के सामने घुरवा मे डाल दिया गया था एवं पुलिस से बचने के डर से फरार था।

जगह बदल कर करता रहा काम
घटना के बाद बल्ला जोशी बैलाडीला दन्तेवाड़ा चला गया था, वहां पर फीसदी किशन द ढाबा में रोजी मजदूरी कर स्वयं को छुपाकर नाम बदलकर रहने लगा। गांव में आरोपी की पत्नी निरा बाई अपने बच्चे के साथ में रह रही थी। जिसे डेढ़ साल बाद आकर गांव से ले जाकर बैलाडीला में रहने लगा, फिर वहां से सोमनी राजनांदगांव में आकर जहां तीन से चार वर्ष रहा, वहां से नेवई खदान पारा मे आकर विगत 17 वर्षो से रह रहा था।
 

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