राजनांदगांव

समूह की महिलाएं कर रहीं मशरूम उत्पादन, मशरूम और वर्मी कम्पोस्ट का हो रहा एक साथ उत्पादन
07-Mar-2022 6:48 PM
   समूह की महिलाएं कर रहीं मशरूम उत्पादन, मशरूम और वर्मी कम्पोस्ट का हो रहा एक साथ उत्पादन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 7 मार्च। कौन कहता है कि कामयाबी किस्मत तय करती है, इरादों में दम हो तो मंजिलें भी झुका करती है...। ऐसी ही एक मिसाल डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम अमलीडीह के गौठान में स्वसहायता समूह की महिलाओं ने पेश की है।

आधुनिक तकनीक एवं प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग का एक बेहतरीन उदाहरण ग्राम अमलीडीह के गौठान में देखने को मिल रहा है। यहां नई तकनीक का उपयोग करते वर्मी कम्पोस्ट शेड में वर्मी कम्पोस्ट के साथ मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। स्वसहायता समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट शेड के तापमान को नियंत्रित कर मशरूम उत्पादन कर रही हंै। मशरूम आमतौर पर सर्दियों की फसल है, लेकिन नई तकनीक का उपयोग कर किसी भी मौसम में मशरूम उत्पादन किया जा सकता है।

इस तकनीक से कम लागत पर स्वसहायता समूह की महिलाएं एक ही स्थान पर वर्मी कम्पोस्ट एवं मशरूम का उत्पादन कर रही हंै। गौठान में इस विधि से स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 8 टन वर्मी खाद एवं 40 किलो मशरूम का उत्पादन कर चुकी हैं। इस विधि से कम लागत में अधिक उत्पादन किया जा सकता है। अमलीडीह गौठान में स्वसहायता समूह की महिलाओं को सशक्त बनाने आजीविका संवर्धन से जुड़ी विभिन्न क्रियाकलापों का आरंभ किया जा रहा है। इसके तहत गौठान में स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा डेयरी उद्योग, मत्स्य पालन, बकरी पालन, जीरो बजट खेती की शुरूआत किया जाएगा। गौठान को तकनीकी रूप से भी आधुनिक मशीनों से सुदृढ़ किया जा रहा है।

 समूह की महिलाएं कर रहीं मधुमक्खी पालन

 करेला के गौठान में जय संतोषी एवं जय मां गायत्री महिला स्वसहायता समूह द्वारा मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। गौठान की 20 महिला सदस्य मधुमक्खी पालन में संलग्र हैं।

खादी ग्राम उद्योग के माध्यम से मधुमक्खी पालन के लिए 200 नग बी बाक्स  उपलब्ध कराया गया। प्रारंभ में समूह की महिलाओं को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। अब महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर मधुमक्खी पालन कर रही हंै। बाजार में शहद एवं इसके उत्पाद की बढ़ती मांग के कारण मधुमक्खी पालन एक लाभदायक और आकर्षक व्यावसाय के रूप में स्थापित हो रहा है। मधुमक्खी पालन के उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इससे कम लागत पर मधुमक्खी पालन एक सफल व्यावसाय साबित हो रहा है।

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