बालोद

यूक्रेन में फंसी विभूति-आकांक्षी सकुशल घर पहुंचीं
09-Mar-2022 2:31 PM
यूक्रेन में फंसी विभूति-आकांक्षी सकुशल घर पहुंचीं

 सरकार व भारतीय सैनिकों का माना आभार  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 9 मार्च।
दल्लीराजहरा नगर के चार बच्चे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे। पर यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे भीषण युद्ध से आई आफत में फस गए थे, लेकिन कड़ी मशक्कत व मुसीबतों को पार कर रूसी व भारतीय सेनिको तथा सरकार की मदद से सभी सुरक्षित घर वापस आ गए है।

दो दिन पहले ही विभूति श्रीवास व आकांछी वैद्य भी सकुशल घर पहुंच गई है। खतरों के बीच फसे बच्चे जब घर पहुंचे तो अपने बच्चो को देख माता व पिता के आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। पहले रोई फिर मुस्कुराई और अपने कलेजे के टुकड़े को सकुशल देखकर गले से लगा लिया, दल्लीराजहरा  के अब सभी बच्चे घर वापस आ गए है।    आकांछी ने बताया कि युक्रेन के लोगों व सेनिको ने बस व ट्रेन में चढऩे नही दिया, जैसे-तैसे मेट्रो सुरंग के अंदर सुरक्षित समझकर रहते थे।

यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाली आकांछी ने बताया कि रूस व यूक्रेन के बीच चल रही युद्ध काफी भयानक है। हर तरफ चीख पुकार व बम ब्लास्ट बार बार अलर्ट के सायरन की आवाज से लोग दहशत में है। जैसे ही युद्ध शुरु हुआ तो यूक्रेन से बाहर निकलकर अपने देश भारत आना चाहा लेकिन युक्रेन से निकलने में ही भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। युक्रेन के खारकीव में थी, वह जगह सबसे ज्यादा खतरा जगह है, यहां सबसे अधिक युद्ध चला। खारकीव में बढ़ते खतरे को देखकर ट्रेन से बॉर्डर तक आना चाहा लेकिन यूक्रेन के लोगों व सेनिको ने भारतीयों को ट्रेन में बैठने नहीं दे रहे थे। जिसके बाद जैसे तैसे मेट्रो सुरंग के अंदर रह रहे थे। और  धीरे धीरे बॉर्डर तक पहुंचकर भारतीय सेनिको की मदद से खतरे से बाहर निकलकर सरकार की मदद से वापस घर पहुंची। आज भी सायरन व बम ब्लास्ट की आवाज गूँजती है कानो में, नींद भी नहीं आती।

वहीं विभूति श्रीवास ने बताया कि वे भी खारकीव में ही रहती थी। खारकीव में ही सबसे ज्यादा बम बारी हुई। युद्ध ऐसा था कि वहां खाने पीने के समान लेन तक नहीं जा पाते थे। जितना  सामान था, उसी से सन्तुष्ट थे। खतरे को देखते हुए मेट्रो सुरंग स्टेशन पर थी, बाहर की जगह से सबसे सुरक्षित जगह मेट्रो स्टेशन ही था। जहां थे वहां एटीएम भी नहीं था। ठंड ज्यादा होने के कारण पानी भी नहीं मिलता था। रात भर बमबारी व अलर्ट सायरन से युद्ध शुरू होने के दिन से अब तक ठीक से नींद भी नहीं आती है। अभी भी यूक्रेन के हालात व बमबारी कानो में गूंजती है।

सुरक्षित घर वापसी के बाद विद्यार्थियों व उनके परिजनों ने  भारतीय सेनिको व सरकार का आभार भी  माना। आज सुरक्षित इन्ही की वजह से घर लौट आए है। फिलहाल नगर के चारो विद्यार्थी जिन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गए थे। सकुशल घर वापसी  के बाद से उनके परिवार में खुशियां लौट आई है। युद्ध के दौरान जितने दिन यूक्रेन में फंसी रहे तो पल पल अपने कलेजे के टुकड़े की चिंता सताने लगती थी।
 

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