राजनांदगांव
![कुनबा संभालने में भाजपा के छूट रहे पसीने कुनबा संभालने में भाजपा के छूट रहे पसीने](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1647068377aml_BJP.jpg)
निकायों में कांग्रेस में शामिल होने पार्टी में मची भगदड़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 मार्च। डेढ़ दशक तक सूबे में सत्तासीन रही भाजपा की सांगठनिक हालत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं चल रही है। प्रदेश में विपक्ष की भूमिका में आने के तीन वर्ष के भीतर भाजपा को अपना कुनबा संभालने में संघर्ष कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन जिले में गुजरे कुछ दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम में निकायों के भाजपा पार्षद पार्टी छोडऩे लगे हैं।
भाजपा के गढ़ माने जाने वाले दो निकायों छुईखदान और गंडई में पार्टी के पार्षदों ने जिस तरह से अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गदर मचाया, उसे रोकने में संगठन नाकाम रहा। छुईखदान में पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष का तख्तापलट कर पार्षदों ने संगठन हिला दिया। शहरी सरकार के सबसे बड़े केंद्र माने जाने वाले राजनांदगांव नगर निगम में भाजपा नेताओं की बेखबरी से परे कांग्रेस ने उनकी पार्टी के पार्षद अजय छैदेया को अपने पाले में लेकर बड़ी सियासी चाल चली है। खास बात यह है कि छैदेया जिलाध्यक्ष मधुसूदन यादव के गृहक्षेत्र से वार्ड का प्रतिनिधित्व करते है।
बताते हैं कि छैदेया के कांग्रेस में जाने से संगठन को अब कुनबा संभालने की चिंता खाए जा रही है। कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने के कारण भाजपा को अपने सदस्यों को एकजुट करने में सफलता नहीं मिल रही है। वैसे कांग्रेस की तुलना में भाजपा को अनुशासित पार्टी माना जाता है लेकिन संगठन के लचर रूख और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की सुध नहीं लेने से कांग्रेस ऐसे चेहरों पर नजर जमाए बैठी है।
भाजपा नेताओं के कार्यप्रणाली को लेकर पार्टी के कई पार्षद दबे स्वर शिकायत करते रहे है। छैदेया के कांग्रेस में जाने के बाद ऐसे नाराज पार्षदों को एक तरह से बल मिल गया है। निगम की सियासत में विपक्षी पार्षदों में भी बिखराव के हालात दिख रहे हैं। कुछ पार्षद इस बात से खफा हैं कि ठेकेदारी और राजनीति के दोहरे मुखौटे से निगम में मुद्दे उठाने में विपक्ष कमजोर साबित हुुआ है। वही विपक्षी पार्षदों के एक गुट ने ठेकदारी प्रथा को ज्यादा मायने दिया है। साथ ही पार्षदों में आपसी मतभेद है। इधर निकायों के पार्षदों ने बगावती तेवर से भाजपा में राजनीतिक तूफान खड़ा होता दिख रहा है। संगठन के शीर्ष नेताओं को अपने सदस्यों को रोकना कठिन हो गया है। भाजपा के लिए इस तरह के बढ़ते घटनाक्रम कतई शुभ नहीं माना जा सकता है।
पंचायत जनप्रतिनिधि भी नाराज
भाजपा के पंचायतों के जनप्रतिनिधि भी संगठन से नाराज चल रहे हैं। निकायों में मची उठापटक अब जनपदों तक पहुंच गई है। चर्चा है कि जल्द ही कुछ जनपदों में अविश्वास प्रस्ताव लाकर तख्ता पलट किए जाने की तैयारी है। राजनीतिक रूप से छुईखदान जनपद में इस तरह की उठापटक चल रही है। छुईखदान जनपद के अलावा दूसरे जनपदों में भी कांग्रेस ने नजरें गड़ा ली है। निकायों में बिगड़ते हालात से जनपदों में कांग्रेस को सत्तारूढ़ होने की उम्मीद है। जिले में कुछ जनपदों को छोडक़र ज्यादातर क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और सरपंच भी भाजपा के कामकाज को अपने लिए विपरीत मान रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में ग्रामीण सियासत में सेंधमारी के आसार बढ़ गए हैं।