राजनांदगांव
![फिर लौटा मोहला के जंगल में हाथियों का झुंड फिर लौटा मोहला के जंगल में हाथियों का झुंड](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1647240220G_LOGO-001.jpg)
दर्जनभर हाथियों की मौजूदगी से दहशत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 मार्च। मोहला के घने जंगल में एक बार फिर हाथियों का झुंड लौट आया है। बीते साल सितंबर से अक्टूबर तक हाथियों के दो झुंड ने जंगल में दहशत खड़ी कर दी थी। इसके बाद यह दल गढ़चिरौली के जंगलों में चला गया था। करीब छह माह बाद फिर से मोहला के पानाबरस के जंगल में दर्जनभर हाथियों की मौजूदगी से अफसरों के लिए फिर से परेशानी खड़ी हो गई है। अफसरों को इस बात की चिंता है कि नए झुंड होने से स्थिति को सम्हालना मुश्किल होगा। वहीं पुराने हाथियों की उपस्थिति से थोड़ा तनाव कम होगा।
मिली जानकारी के मुताबिक दो अलग-अलग झुंंड में हाथियों की चहल-कदमी देखी गई है। सोमवार सुबह आला अफसरों को हाथियों के पहुंचने की खबर मिली। इसके बाद डीएफओ सलमा फारूखी और मानपुर एसडीओ आरके गजभिये समेत अन्य रेंज के अधिकारियों ने जंगल में मोर्चा सम्हाल लिया है। एक जानकारी के अनुसार दोनों ग्रुप में लगभग 10 से अधिक हाथी शामिल हैं। जिसमें कम उम्र के हाथी भी झुंड में दिखाई दिए हैं। पानाबरस-पीपरखार के बीच आज हाथियों का डेरा दिखाई दिया है। वन अफसरों ने इलाके में मुनादी कर लोगों को सतर्क किया है। साथ ही झुंड के करीब जाने से मना किया है। पिछले साल हाथियों ने कई किसानों के खेतों की फसल को रौंद दिया था। वहीं कुछ घरों को नुकसान भी पहुंचाया था। नवंबर महीने के बाद हाथियों का दल महाराष्ट्र की ओर चला गया। गढ़चिरौली के अलग-अलग हिस्सों में हाथी फेरा लगाकर फिर वापस लौट आए हैं। वन अफसरों के मुताबिक हाथी लंबी दूरी तय करने के बाद दोबारा उसी इलाके में पहुंचने के आदी होते हैं, इसलिए पुराना झुंड घने जंगलों से वाकिफ होता है। वापसी के बाद हाथियों के उपद्रव को लेकर फिलहाल कोई अधिकृत जानकारी नहीं है, लेकिन इलाके के बाशिंदों के लिए फिर से तनाव की स्थिति बन गई है। इस संबंध में डीएफओ सलमा फारूखी ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि अलग-अलग टीमें नजर रख रही है। हाथियों की आवाजाही के दौरान कहीं भी अप्रिय स्थिति नहीं बनी है। मानपुर-मोहला के एसडीओ समेत मैदानी अमला मुस्तैद है। इस बीच मोहला-मानपुर के इलाके में हाथियों की वापसी अफसरों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। पिछले साल अफसरों को हाथियों को सम्हालने खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।