राजनांदगांव
![देवव्रत के बहनोई नरेन्द्र सोनी जनता कांग्रेस के प्रत्याशी देवव्रत के बहनोई नरेन्द्र सोनी जनता कांग्रेस के प्रत्याशी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1648018190arendra_Soni.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ से कहा-देवव्रत के सपनों को पूरा करने लड़ रहे चुनाव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 23 मार्च। खैरागढ़ उपचुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी ने दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह के बहनोई नरेन्द्र सोनी को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है। नरेन्द्र देवव्रत की सबसे छोटी बहन आकांक्षा सिंह के पति हैं। राजधानी रायपुर में जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष रेणु जोगी की अनुशंसा के बाद सोनी को उम्मीदवार घोषित किया है। सोनी खैरागढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति के अगुवा भी हैं। राजनीतिक रूप से वह किसी पार्टी से नहीं जुड़े थे। संगठन ने देवव्रत सिंह के रिश्तेदार होने के कारण उन्हें मैदान में उतारा है। इस तरह राजपरिवार के प्रति जोगी कांग्रेस का मोह बरकरार रहा।
‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में श्री सोनी ने उम्मीदवारी को लेकर कहा कि वह पूर्व विधायक सिंह के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में हैं। देवव्रत की ख्वाहिश में खैरागढ़ को जिला का दर्जा और साल्हेवारा क्षेत्र में एक बड़े औद्योगिक इकाई की स्थापना शामिल थी। इसके अलावा वह कांग्रेस सरकार के कथित घोटालों और ध्वस्त योजनाओं को लेकर प्रचार करेंगे। उन्हें उम्मीद है कि देवव्रत सिंह के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए क्षेत्र की जनता बतौर जीत उन्हें आशीर्वाद प्रदान करेगी। इधर जोगी कांग्रेस ने राजपरिवार के साथ अपने गहरे लगाव को जाहिर किया है। पार्टी नेताओं का मानना है कि राजमहल से जुड़े लोगों को मौका देकर पार्टी ने देवव्रत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
फैसले को लेकर संगठन में मतभेद
नरेन्द्र सोनी को पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी बनाए जाने के निर्णय का अंदरूनी स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। पार्टी द्वारा सीधे सोनी के नाम का ऐलान होते ही जिले के प्रमुख नेता जनरैल सिंह भाटिया नाराज हो गए हैं। भाटिया सोनी की पत्नी आकांक्षा सिंह को मैदान में उतारने की हिमायत कर रहे थे, लेकिन उनके सुझाए नाम के बजाय पार्टी ने नरेन्द सोनी को अपना प्रत्याशी बनाया। इस तरह शुरूआत में ही जोगी कांग्रेस में टिकट को लेकर अंर्तविरोध शुरू हो गया है। भाटिया की पसंद से परे उम्मीदवार होने के कारण चुनाव प्रचार पर इसका असर पड़ सकता है। राजनीतिक रूप से जोगी कांग्रेस का सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और भाजपा से मुकाबला है। वैसे मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होना माना जा रहा है। ऐसे में जोगी कांग्रेस को अपनी अंदरूनी खींचतान से निपटने के साथ मैदानी स्तर पर चुनाव जीतने दमखम लगाना होगा।