राजनांदगांव

धुर नक्सल इलाके में सीएम की चुनावी सभा
05-Apr-2022 1:02 PM
धुर नक्सल इलाके में सीएम की चुनावी सभा

भूपेश के सघन जनसंपर्क से भाजपा में बेचैनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 5 अप्रैल।
खैरागढ़ उपचुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सिलसिलेवार चुनावी सभाएं  होने से भाजपा की रणनीति कमजोर पड़ती दिख रही है। मुख्यमंत्री ने पिछले दो दिनों में आधा दर्जन सभाओं में भाजपा की नीतियों की जमकर आलोचना की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य के पहले ऐसे सीएम भी हैं, जिन्होंने घोर नक्सल प्रभावित बकरकट्टा में चुनावी सभा की । मुख्यमंत्री ने ऊंचे पठारी इलाके बकरकट्टा के लोगों की मोबाइल नेटवर्क की सुविधा को दुरूस्त करने की सालों पुरानी मांग को पूरा करने का भरोसा दिया। वहीं मुख्यमंत्री ने साल्हेवारा और पैलीमेटा में भी सभाएं की। मुख्यमंत्री के मैदान में उतरते ही खैरागढ़ का सियासी माहौल बदल गया है। मुख्यमंत्री के धुंआधार दौरे से भाजपा भी हड़बड़ाई हुई है।

भाजपा की ओर से अब तक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ही बड़ी सभाएं की है,लेकिन इसके जवाब में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री  बघेल को उतारकर विरोधी पार्टी की नींद उड़ा दी है।  भाजपा के सभाओं की तुलना में मुख्यमंत्री को सुनने के लिए दुरूस्त इलाके के लोग स्वस्फूर्त पहुंच रहे हैं। इसके पीछे मुख्यमंत्री की क्षेत्रीय समस्याओं के फौरन हल ढूंढने और उनकी जरूरतों को भविष्य में पूरा करने एक असल वजह है। खैरागढ़ क्षेत्र में अब तक मुख्यमंत्री की तीन सभाएं हुई है। वहीं मुख्यमंत्री मंगलवार को दोपहर बाद तीन और सभाएं करेंगे। इस बीच मुख्यमंत्री 10 अप्रैल की शाम तक कई और भी सभाएं करेंगे। इस तरह समूचे विधानसभा के हर कोने में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम प्रस्तावित है।
खैरागढ़ के लिए जिला निर्माण की घोषणा भाजपा की रणनीति को शिकस्त देने का दावा किया जा रहा है।

भाजपा को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि मुख्यमंत्री जिला  निर्माण का कार्ड खोलकर भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने क्षेत्रीय भाव को समझते हुए पूरे विधानसभा में सौगातों की झड़ी लगा दी। जिसमें साल्हेवारा को तहसील और जालबांधा को उपतहसील का दर्जा देना शामिल है।

मुख्यमंत्री के पिछले दिनों कांग्रेस प्रत्याशी के विजयी होने के दूसरे दिन जिला अस्तित्व में आने का ट्वीट करना भी भाजपा के लिए भारी पड़ गया है। भाजपा भी मुख्यमंत्री के ताबड़तोड़ फैसलों का जवाब देने के लिए तोड़ ढूंढ रही है, लेकिन भाजपा की तैयारी फिलहाल धरी की धरी रह गई है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के चुनावी मोर्चा सम्हालते ही भाजपा का चुनावी समीकरण लडख़ड़ाता दिख रहा है। अगले 5 दिन मुख्यमंत्री की मौजूदगी से विधानसभा में गदर मचना तय है।

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