राजनांदगांव
![प्रभु यीशु के बलिदान और सिद्धांतों के लिए पदयात्रा में निकले ईसाई धर्मावलंबी प्रभु यीशु के बलिदान और सिद्धांतों के लिए पदयात्रा में निकले ईसाई धर्मावलंबी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1649314488jn__1_(2).jpg)
डोंगरगढ़ के कलवारी पहाड़ जाते रायपुर का जत्था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 अप्रैल। प्रभु यीशु के बलिदान और सिद्धांतों को आत्मसात करने का उद्देश्य लेकर रायपुर से डोंगरगढ़ जाने निकला एक जत्था गुरुवार को स्थानीय सडक़ों में नजर आया। ईसा मसीह के जीवन में हुए अत्याचारों और प्रताडऩा पर आधारित धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ईसाई धर्मावलंबी भारी भरकम क्रूस लेकर हर साल डोंगरगढ़ के कलवारी पहाड़ में पहुंचते हैं।
यहां यह बता दें कि 8 मार्च से 16 अप्रैल तक ईसाई समुदाय प्रभु यीशु के उत्पीडऩ को याद करते कठिन व्रत रख रहा है। इस महीने को शोक का महीना भी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रभु यीशु मानवीय कल्याण के लिए अपने आपको सूली पर चढ़ाने में भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने सूली में चढ़ाने वालों को माफ भी कर दिया। कलवारी पहाड़ में प्रार्थनाओं और सभाओं में शामिल होने के लिए इस माह में न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि दीगर राज्यों के लोग भी पैदल कू्रस लेकर पहुंचते हैं। पैदल चलने वालों में युवाओं के साथ-साथ उम्रदराज लोगों की तादाद होती है।
धार्मिक आस्था का प्रतीक बना कलवारी पहाड़ पिछले माहभर से ईसाई धर्मावलंबियों का वहां मजमा लगा हुआ है। आस्था से लबरेज समुदाय के लोग इंसानी जीवन के लिए प्रार्थनाएं और सभाएं कर रहे हैं। इसी कड़ी में रायपुर से 5 अप्रैल को निकले 50 से अधिक लोगों का एक जत्था आज डोंगरगढ़ के लिए शहर से होकर गुजरा।
आगामी 17 अप्रैल को प्रभु यीशु के पुर्नजीवित होने की अलौकिक घटना की खुशी में ईसाई समुदाय ईस्टर पर्व मनाने की तैयारी में भी जुटा हुआ है। इससे पूर्व 15 अप्रैल को गुडफ्राई-डे के दिन समाज चर्चों में विशेष प्रार्थनाओं में शामिल होनेकर अपनी शोक व्यक्त करेगा। इसके एक दिन बाद रविवार को ईस्टर पर्व की खुशियां समुदाय के घरों में बिखरेगी।
10 को पाम-संडे पर विशेष आराधना
स्थानीय गिरजाघरों में 10 अप्रैल रविवार को पाम-संडे के अवसर पर विशेष आराधना होगी। लोकमान्यता है कि इजराइल के यरूशलम शहर में प्रभु यीशु के गुजरने के दौरान लोगों ने पॉम यानी खजूर के पत्तों और डालियों से घर और गलियों को सजाया था। उनके स्वागत में जगह-जगह खजूर के पेड़ और पत्ते लगाए गए थे। ईस्टर पर्व से एक सप्ताह पहले रविवार को पॉम-संडे के रूप में मनाया जाता है। चर्चों में विशेष सभा के लिए लोग जुटते हैं। ऐसा मानते हैं कि पॉम-संडे में प्रभु यीशु की स्तुतिगान करने से सभी का कष्ट दूर होता है।