राजनांदगांव
![पाम संडे में गिरिजाघरों में विशेष आराधना पाम संडे में गिरिजाघरों में विशेष आराधना](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1649598048jn__1.jpg)
मानव कल्याण के लिए सूली पर चढ़े प्रभु यीशु को समुदाय ने किया याद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 अप्रैल। पाम संडे (खजूर दिवस) पर रविवार को शहर के गिरजाघरों में प्रभु यीशु के जीवनकाल को याद करते हुए ईसाई समुदाय ने विशेष आराधना की। गुड-फ्राईडे से एक सप्ताह पूर्व पाम संडे में समुदाय विशेष प्रार्थना करता है। इसकी धार्मिक मान्यता यह है कि सूली में चढ़ाए जाने से पूर्व गधी में सवार होकर यरूशलम शहर में पहुंचे थे। प्रभु यीशु का उस दौरान खजूर के पत्तों से स्वागत किया गया था। उनके आगमन पर लोगों ने खजूर की डाल से शहर को सजाया था। लोक मान्यता में प्रभु यीशु ने सूली में चढ़ाए जाने से पूर्व लोगों को आखिरी दर्शन दिया था। गुड-फ्राईडे के दिन उन्हें सूली में चढ़ा दिया गया। इसके एक दिन बाद यानी रविवार को प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुए थे। उनके जीवित होने की धार्मिक घटनाक्रम के चलते समाज ईस्टर पर्व मनाता है।
इससे पहले स्थानीय शहर के गिरजाघरों में पाम संडे पर वेसलियन, मेन्नोनाईट, मार्थोमा तथा गौरीनगर स्थित मसीही चर्च में विशेष प्रार्थना के लिए सैकड़ों लोग जुटे। मसीसी समाज लगभग डेढ़ माह से इन दिनों प्रभु यीशु के बलिदान के स्मृति में कठिन व्रत कर रहा है। ईसाई धर्माविलंबी प्रभु यीशु के जीवन पर आधारित धार्मिक प्रवचनों को सुनने चर्चों में जुट रहे है। पाम संडे के अवसर पर चर्चों में फादर और पास्टरों ने विशेष धार्मिक व्याख्यान भी दिए। पवित्र धार्मिक किताब बाईबिल में पाम संडे को खास दर्जा दिया गया है। आज सुबह गिरजाघरो में भक्तिमय गीत-संगीत का आयोजन किया गया। प्रभु यीशु मसीह के जीवनकाल में हुए धार्मिक घटनाक्रम को अलौलिक मानकर समाज के लोगों की आंखे भी नम हो गई।
पुनर्जीवित की खुशी में अगले रविवार ईस्टर पर्व
अगले रविवार यानी एक अप्रैल को मसीही समुदाय प्रभु यीशु मसीह के पुर्नजन्म को लेकर ईस्टर पर्व मनाएगा। इससे पहले शुक्रवार को प्रभु यीशु को सूली में चढ़ाए जाने पर चर्चों में विशेष धार्मिक सभा होगी। इस दिन को गुड फ्राईडे के रूप में माना जाता है। बाईबिल में गुड फ्राईडे के दिन को प्रभु यीशु को सूली में चढ़ाए जाने की घटना को अद्भुत बताया। वहीं घटना के एक दिन बाद रविवार को प्रभु यीशु के दोबारा जन्म का भी बाईबिल में जिक्र है। यही कारण है कि समाज ईस्टर पर्व को पूरे धूमधाम से मनाता है। क्रिसमस के बाद मसीही समुदाय के लिए यह दिन खुशियां बांटने का खास अवसर होता है।