राजनांदगांव
![भीतरघातियों की पहचान जुटाने में लगी भाजपा-कांग्रेस भीतरघातियों की पहचान जुटाने में लगी भाजपा-कांग्रेस](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1649839472ongress_Panja.png)
दोनों ही दल में अंदरखाने निपटाने का हुआ खेल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 अप्रैल। खैरागढ़ उपचुनाव में परिणाम आने से पहले भाजपा और कांग्रेस भीतरघातियों की पहचान जुटाने मशक्कत कर रही है। उपचुनाव में दोनों ही दल के कई नेताओं ने प्रत्याशियों के खिलाफ जाकर प्रचार और संसाधन जुटाए हैं। भाजपा में सर्वाधिक ऐसे नेताओं की भरमार रही, जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और निर्दलियों को अप्रत्यक्ष रूप से मदद पहुंचाया है। वहीं कांग्रेस में भी फूलछाप नेताओं की कमी नहीं थी। चुनाव प्रचार के दौरान भले ही भीतरघात करने वाले नेताओं ने खुलकर विरोध नहीं किया, लेकिन मतदान से दो दिन पहले व्यक्तिगत और दीगर संपर्कों के जरिये मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में वोट डालने दबाव बनाया। कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा के खिलाफ असंतुष्ट नेताओं ने दोहरी नीति लेकर प्रचार-प्रसार किया। कुछ नेताओं के करीबियों ने पहचान छुपाकर भाजपा अथवा नोटा में वोट डालने के लिए मतदाताओं को राजी करने का प्रयास किया। भाजपा में भी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट देने के लिए भी काफी जोर आजमाईश की गई। चुनाव निपटने के बाद दोनों ही दल भीतरघातियों की शिनाख्ती कर रही है। जल्द ही दोनों दल ऐसे नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का फरमान जारी कर सकते हैं। वैसे भाजपा ने साल्हेवारा क्षेत्र के संतु धरमगढे को मतदान से दो दिन पहले निष्कासित कर दिया। धरमगढ़े पर आरोप है कि कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए वह कार्यकर्ताओं को बरगला रहे थे। इसी तरह गंडई और छुईखदान के कुछ भाजपा नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की अधिकृत रिपोर्ट संगठन को मिली है। आला नेताओं ने फिलहाल भाजपा विरोधी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की पहचान कर ली है। सियासी हल्के में यह बात चर्चा में है कि डेढ़ साल बाद होने वाले चुनाव के मद्देनजर दोनों ही दल असंतुष्ट नेताओं को संगठन से बाहर कर सकते हैं, ताकि 2023 के आम चुनाव में पार्टी विरोधी माहौल खड़ा न हो।
भाजपा और कांग्रेस को इस उपचुनाव में अपने ही नेताओं से काफी नुकसान हुआ है। दोनों ही दल के भीतर यह जानने की कोशिश की जा रही है कि भीतरघातियों ने कैसे और किस तरह के संसाधन उपलब्ध कराए थे। उधर दोनों ही दल इस बात की भी जानकारी जुटा रहे हैं कि स्वतंत्र उम्मीदवारों को किस हद तक मदद की गई है। चर्चा है कि वोटों का धु्रवीकरण की नियत से राजनीति दलों ने निर्दलीय प्रत्याशियों को भी मदद पहुंचाई है। खासतौर पर साल्हेवारा और बकरकट्टा के अंदरूनी इलाकों में जातिगत समीकरण के तहत वोट में सेंध लगाने के लिए स्वतंत्र उम्मीदवारों को मैदान पर उतारा गया था। इसकी भी दोनों दल जानकारी ले रहे हैं। माना जा रहा है कि भीतरघातियों को नतीजे आने के बाद संगठन से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।