राजनांदगांव

मुरूम निकालने खाई में तब्दील हुआ पहाड़
14-Apr-2022 6:31 PM
मुरूम निकालने खाई में तब्दील हुआ पहाड़

बकरकट्टा के जंगल में पीएमएसवाई ठेकेदार के कारनामे से पर्यावरण की उड़ी धज्जियां

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 14 अप्रैल। जिले के बकरकट्टा के अंदरूनी जंगल में सडक़ निर्माण के लिए पहाड़ों और वन संपदाओं को मशीनों से रौंदा जा रहा है। प्रधानमंत्री सडक़ योजना से निर्माणाधीन मार्गों के लिए पर्यावरण की शर्तों से परे जाकर ठेकेदार ने जंगल और पठारों की बेतरतीब ढंग से खुदाई कर दी है।

 दिलचस्प बात यह है कि वन महकमे से अनुमति लेना भी ठेकदार ने जरूरी नहीं समझा। बकरकट्टा-रामपुर के बीच एक लंबी दूरी की सडक़ निर्माण के दौरान पूरे जंगल में पेड़ों और प्राकृतिक संसाधनों का बगैर जानकारी के दोहन हो रहा है।

सूत्रों का कहना है कि सडक़ निर्माण के ठेके में मुरूम के लिए सरकार अतिरिक्त राशि का भुगतान करती है। घने जंगल में नक्सल खौफ और लोगों की नजर में नहीं आने के चलते ठेकेदार ने इमरती लकडिय़ों से लैस पठारों को खोदकर एक बड़े खाई में बदल दिया है।

इस संबंध में खैरागढ़ डीएफओ दिलराज प्रभाकर ने ‘छत्तीसगढ़’  से कहा कि अवैध खुदाई की जानकारी ली जाएगी और ठोस कार्रवाई होगी।

 नक्सल इलाका होने की वजह से सडक़ निर्माण के दौरान ठेकेदार ने वन अफसरों से मुरूम खुदाई के लिए अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा। आलम यह है कि सडक़ निर्माण के लिए मशीनों से पहाड़ों से मुरूम की बड़ी मात्रा में अवैध उत्खनन किया गया है।

बकरकट्टा- रामपुर के मध्य बन रहे सडक़ के लिए ठेकेदार ने बेशकीमती पेड़ों और वनभूमि को काफी नुकसान पहुंचाया है। नए मार्ग के लिए मुरूम की जरूरत को पूरा करने जेसीबी मशीन से कई हिस्सें बड़े खाई में बदल गए है। बकरकट्टा क्षेत्र प्रचुर वन संपदा और बेशकीमती पेड़ो से घिरा हुआ है। वन बांशिदों के लिए आवाजाही को सुगम बनाने की महत्वाकांक्षा लेकर सरकार चमचमाती सडक़ों का जाल फैला रही है, लेकिन ठेकेदार मुनाफे के लिए वन संपत्तियों की बेखौफ तबाह कर रहे है। ठेकेदार के इस रवैय्ये से वन क्षेत्र के लोगों में नाराजगी भी है। इसको लेकर शिकायतें भी हुई है। अफसर की मजबूरी यह है कि सडक़ निर्माण में खलल न हो, इसलिए चाहकर भी ठेकेदार को रोक नहीं पा रहे हैं।

बताते हैं कि अफसरों पर सडक़ निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने का प्रशासन और सरकार का दबाव है। ठेकेदार को कथित रूप से मिली छूट ने जंगल को नष्ट कर दिया है। पहाड़ों और जंगल को नुकसान पहुंचा रहे ठेकेदार से सवाल-जवाब करने में अफसरों को दिलचस्पी नहीं है। वैसे जंगल की प्राकृतिक खूबसूरती को खुदाई से जरूर धक्का पहुंचा है। सडक़ निर्माण के लिए वन संपदा को ताक में रखने से यह साफ दिख रहा है कि ठेकेदार की जंगल में मनमर्जी चल रही है।

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