राजनांदगांव
गुड-फ्राईडे के दिन ईसाई समुदाय रहा शोक में, उपवास भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 अप्रैल। शांतिदूतक प्रभु यीशु को सूली में चढ़ाए जाने की लोकमान्यता के अनुरूप गुड-फ्राईडे के दिन ईसाई समुदाय ने गमगीन माहौल में गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना की।
धार्मिक मान्यता है कि प्रभु ईसा मसीह ने मानव कल्याण के लिए खुद को सूली पर लटकने से परहेज नहीं किया। उनका उद्देश्य इंसान के उद्धार और सुखमय जीवन से जुड़ा हुआ था। गुड-फ्राईडे के दिन उन्हें सूली में लटका दिया गया था। इस घटना को याद करते हुए ईसाई धर्मावलंबी हर साल 40 दिन का उपवास रखते हैं। इस दौरान तमाम तरह की खुशियों से जुड़े आयोजन और अन्य धार्मिक गतिविधि पर पाबंदी रहती है। 40 दिन तक उपवास रखकर परिवार के लोग प्रभु यीशु के संघर्ष और उनके कष्ट को अपने जीवन में आत्मसात करने की कोशिश करते हैं। उपवास रखने के सिलसिले से लेकर गुड-फ्राईडे तक घर के सदस्य पवित्र किताब बाईबिल में लिखे वचनों को पढ़ते हैं।
चर्चों में कई तरह के कार्यक्रम के जरिये सभी लोगों को प्रभु यीशु के जीवन में हुई घटनाओं से अवगत कराया जाता है। चर्चों के फादर और पास्टर भी लोगों में धार्मिक संदेश देते हुए इंसानी जीवन में प्रभु यीशु के अलौकिक गाथाओं का बखान करते हैं। इधर शहर के अलग-अलग चर्चों में आज ईसाई समुदाय ने प्रभु यीशु को याद करते उनके साथ हुए घटनाक्रम को लेकर प्रार्थनाएं की। समाज ने उनके सिद्धांतों को जीवन में अक्षरक्ष: उतारने का संकल्प लिया।
शहर के वेसलियन स्कूल स्थित चर्च, स्टेशन रोड स्थित वेसलियन चर्च, मेनोनाईट चर्च, मार्थोमा चर्च व डोंगरगांव स्थित सीरियन चर्च में समुदाय के सभी लोगों ने विशेष आराधना की। आज पूरे दिन प्रभु यीशु को याद करते हुए समाज शोक में डूबा रहा। प्रभु यीशु के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए समाज ने पिता परमेश्वर से प्रार्थना की। इस बीच पास्टर और फादरों ने धार्मिक व्याख्यान के जरिये लोगों को गुड-फ्राईडे की महत्ता पर प्रकाश डाला। गिरजाघरों में आज सुबह से विशेष सभा में शामिल होने पहुंचे।
रविवार को ईस्टर पर्व
प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की अलौकिक घटनाक्रम की खुशी में ईसाई समुदाय रविवार यानी 17 अप्रैल को ईस्टर पर्व मनाएगा। प्रभु यीशु को सूली में लटकाने की घटना के एक दिन के बाद उनके दोबारा जीवित होने की घटना को समाज त्यौहार के रूप में मनाता है। घरों में कई तरह के पकवान और व्यंजन बनाए जाते हैं। प्रभु यीशु के दोबारा जीवन में लौटने को लेकर पवित्र किताब बाईबिल में अंश भी लिखे गए हैं, ताकि लोगों को इस चमत्कारिक घटना के ऐतिहासिक महत्व का ज्ञान हो।