राजनांदगांव
रमन, बृजमोहन, कौशिक समेत दिग्गज भी टाल नहीं पाए हार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 अप्रैल। खैरागढ़ उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा के दिग्गज नेताओं की चुनावी रणनीति को धराशाही कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह समेत बृजमोहन अग्रवाल, धरमलाल कौशिक व अन्य नेताओं की चुनावी मोर्चाबंदी पूरी तरह से विफल रही। नतीजतन भाजपा को कांग्रेस के हाथों 20 हजार वोटों के एक बड़े अंतर से शिकस्त मिली।
पार्टी को मिली हार से प्रदेश के नेताओं की राजनीतिक स्थिति को लेकर संगठन के कार्यकर्ता दबे स्वर सवाल उठा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा प्रत्याशी कोमल जंघेल अपने गृहग्राम घिरघोली से भी मात खा गए। घिरघोली व आसपास के बूथों की जिम्मेदारी जंघेल के भाई रोहित जंघेल सम्हाल रहे थे।
भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और अन्य नेताओं को हर हाल में चुनावी फतह करने की जिम्मेदारी दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने दर्जनों सभाएं कर पार्टी के पक्ष में मतदान करने लोगों से अपील की। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ डॉ. सिंह ने दो बड़ी जनसभाएं भी की थी। साथ ही केंद्रीय नेतृत्व ने प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी प्रचार के लिए भेजा था। इससे परे बृजमोहन अग्रवाल, धरमलाल कौशिक और शिवरतन शर्मा क्रमश: खैरागढ़, छुईखदान और गंडई मंडल की जिम्मेदारी सम्हाले हुए थे। इन तीनों मंडल में पार्टी को करारी हार मिली है। कुछ बूथों को छोडक़र ज्यादातर में कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने बढ़त ली।
चुनावी प्रबंधन में माहिर माने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल के प्रभार वाले खैरागढ़ क्षेत्र में भाजपा की स्थिति कमजोर रही। बृजमोहन पूर्ववर्ती रमन सरकार में उपचुनाव में पार्टी के पक्ष में परिणाम को बदलने में सक्षम माने जाते थे। उनकी रणनीति काफी सटीक रहती थी। खैरागढ़ उपचुनाव में उनका पुराना अनुभव काम नहीं आया। वहीं धरमलाल कौशिक और शिवरतन शर्मा को भी अपने प्रभार वाले क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा।
इधर भाजपा ने घाटी इलाके साल्हेवारा में पूर्व मंत्री केदार कश्यप को जिम्मेदारी दी थी। उनके क्षेत्र में पार्टी की बुरी स्थिति रही। साल्हेवारा के पठारी इलाकों के बूथों में बड़े अंतरों से भाजपा को हार मिली। वैसे दिग्गजों के अलावा राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, राजेश मूणत ने भी चुनावी प्रचार में ताकत झोंकी। भाजपा नेताओं की दमदार फौज होने के बाद भी पार्टी की हार नहीं टली। उपचुनावों में भाजपा के हार का सिलसिला जारी है।