राजनांदगांव

25 साल में तीसरी बार नांदगांव का विभाजन
17-Apr-2022 2:04 PM
25 साल में तीसरी बार नांदगांव का विभाजन

कवर्धा, मोहला-मानपुर के बाद खैरागढ़ भी टूटा, नांदगांव का दायरा सिमटा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 अप्रैल।
राजनांदगांव जिले के  भौगोलिक हिस्सों का एक बार फिर बंटवारा होने जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खैरागढ़ को जिला का दर्जा देने की घोषणा करते ही राजनांदगांव का भौगोलिक हिस्सा बंट गया है। राजनांदगांव जिले के इतिहास में विभाजन की यह तीसरा मौका है। 25 साल में ऐसे मौके आए जब राज्य सरकार ने जिले के भू-भाग से ही नए जिले निर्माण की घोषणा की।

1998 में कवर्धा जिले को राजनांदगांव से पृथक कर नए जिले का दर्जा दिया गया। इस फैसले के बाद लगभग एक वर्ष पूर्व मौजूदा कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में नए जिले बनाने के फैसले में मोहला-मानपुर को भी शामिल किया। कवर्धा से अलग होने के बाद भी राजनांदगांव जिले का भौगोलिक क्षेत्र काफी बड़ा रहा है। उत्तरी और दक्षिणी इलाका घनघोर क्षेत्र से लदा रहा। अब उपचुनाव के परिणाम के बाद खैरागढ़ को नया जिले के रूप में अस्तित्व की मंजूरी सरकार ने दे दी। वर्तमान में राजनांदगांव जिले की भौगोलिक स्थिति प्रदेश के  अन्यजिलों की तुलना में काफी बड़ी रही है।

जिला मुख्यालय से उत्तरी और दक्षिणी भू-भाग लगभग 140  से 150 किमी लंबी है। दक्षिण क्षेत्र औंधी की दूरी राजनांदगांव से करीब 150 किमी है। वहीं बकरकट्टा की दूरी भी लगभग समान है। इस तरह एक बड़ा क्षेत्र होने के कारण राजनांदगांव जिला प्रशासनिक अफसरों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। भरपूर वनसंपदा के चलते भारतीय वन सेवा के अफसरों की बतौर डीएफओ जिले में तैनात होने की ख्वाहिश रही है। वहीं पुलिस अधीक्षक के लिए भी राजनंादगांव जिला काफी अहम रहा है। खैरागढ़ और मोहला-मानपुर के विभक्त होने से राजनंादगांव की भौगोलिक स्थिति बेहद सिमटे रूप में नक्शे पर दिखााई पड़ेगी। सिर्फ नेशनल हाईवे का भू-भाग ही 60 किमी से अधिक  बाघनदी तक होगा।  जबकि 50 किमी के दायरे पर छुरिया, बोरतलाव का इलाका मानचित्र में अंकित होगा। ऐसे में नौकरशाहों के लिए राजनंादगांव में पोस्टिंग को लेकर अब तक रही दिलचस्पी स्वभाविक रूप से घट जाएगी। वहीं राजनांदगांव में थानों की संख्या में सीमित हो जाएगी। वर्तमान में यह जिला 9 ब्लॉकों से घिरा हुआ है।

मोहला-मानपुर और खैरागढ़़ के अस्तित्व में आते ही ब्लॉकों की संख्या महज 4 पर सिमट जाएगी। पिछले 25 सालों में लगातार राजनंादगांव जिले की भौगोलिक स्वरूप को सरकारों ने राजनीतिक उद्देश्य पूर्ति के लिए बदलाव किए हैं। मोहला-मानपुर और खैरागढ़ की बनावट भले ही नए रूप में सामने होगी, लेकिन व्यापारिक और चिकित्सकीय सुविधा के लिहाज से नया जिला बनने के बााद भी लोगों को राजनांदगांव का रूख करना पड़ेगा। हालांकि यह सच है कि खैरागढ़ के पठारी इलाके साल्हेवारा, बकरकट्टा और मोहला-मानपुर के औंधी के लोगों के लिए नया जिला बनना सुविधा के लिहाज से फायदेमंद है, लेकिन अन्य आर्थिक गतिविधि के संदर्भ में दोनों क्षेत्र के  लोगों को राजनांदगांव से ही जुड़ा रहना पड़ेगा।

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