राजनांदगांव
मई के बजाय अप्रैल में चूभती धूप से जंगल से हरियाली गायब
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 अप्रैल। अप्रैल माह में पड़ रही बेतहाशा गर्मी से माहभर पहले ही जिले के जंगल ठूंठ में बदल गए हैं। घने जंगलों में हरियाली पूरी तरह से गायब हो गई है। आमतौर पर मई के महीने में ही जंगलों से हरियाली नदारद होती है। इस साल अप्रैल माह में ही पारा 40 से ऊपर पार होते ही जंगलों की खूबसूरती पर असर पड़ा है। घने जंगलों की तेज धूप ने बुरी हालत कर दी है। जंगलों के इमरती पेड़ों में पत्ते झडक़र सूख गए हैं।
हरियाली की कमी का सीधा असर वन्य प्राणियों के जीवन पर भी पड़ा है। पत्तों के नदारद होने से वन्य प्राणियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई। घने जंगलों के क्षेत्र माने जाने वाले जिले के मानपुर से लेकर बकरकट्टा और साल्हेवारा क्षेत्र में जंगल में सन्नाटा पसरा हुआ है। तीखी धूप के कारण पत्ते भी टहनियों से अलग हो गए हैं। साल्हेवारा और गातापार के अंदरूनी जंगलों में वीरानी छाई हुई है। हरियाली गायब होने से पेड़ों में मानों जान नहीं बची है। हरियाली की आड़ में हिंसक और गैर हिंसक वन्य प्राणियों को छुपने का मौका मिलता है। इस साल अप्रैल में रिकार्ड तोड़ गर्मी पडऩे से सागौन, साल और सरई के पेड़ पूरी तरह से सूख गए हैं। पेड़ों से पत्ते गायब होते ही जंगल बियाबान में बदल गया है। अप्रैल में पड़ रही गर्मी से अगले महीने मई के दौरान की स्थिति का भयावह अंदाजा लगाया जा सकता है।
पानी के लिए भटक रहे वन्यप्राणी
भीषण गर्मी से हलाकान वन्यप्राणी प्यास बुझाने के लिए भटक रहे हैं। जंगलों के भीतर पोखर और पानी के स्रोत सूख गए हैं। ऊंचे पठारी इलाकों में कहीं-कहीं पानी के स्रोत मौजूद हैं, लेकिन वन्य प्राणियों को प्यास बुझाने के लिए लंबी दौड़-भाग करनी पड़ रही है। हालांकि वन महकमे ने अंदरूनी जंगलों में कृत्रिम पेयजल के स्रोत बनाए हुए हैं, पर उबड़-खाबड़ और घने जंगल होने के चलते वन अमले का हर जगह पहुंचना संभव नहीं है। तेज धूप के कारण जंगली-जानवरों की स्थिति खराब हो गई है। वहीं उनकी सुरक्षा भी खतरे में नजर आ रही है। सूखे जंगलों में हरियाली नदारद होने से हिरण, कोटरी समेत अन्य वन्य प्राणियों के सामने खतरा मंडरा रहा है। बहरहाल जंगलों की हालत भीषण गमी ने खराब कर रखी है। पानी की कमी से वन्यप्राणी भी जूझ रहे हैं।