राजनांदगांव
बंद पड़े बकरकट्टा-मलैदा के टॉवर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 अप्रैल। जिले के साल्हेवारा-बकरकट्टा इलाके में खड़े किए गए जियो कंपनी के मोबाइल टॉवर शो-पीस में बदल गए हैं। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की पहल पर मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने के लिए निजी कंपनी ने टॉवरों की सीरीज खड़ी कर दी। मगर इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। इस इलाके में अभी तक मोबाइल नेटवर्क गायब है।
युवाओं को शिक्षा-दीक्षा और देश-दुनिया की गतिविधियों से जोडऩे के लिए तत्कालीन रमन सरकार ने मोबाइल का भी वितरण किया। यह अलग बात है कि अब भाजपा सरकार की मोबाइल योजना का एक भी प्रमाण नजर नहीं आ रहा है। गुणवत्ताविहीन मोबाइल ग्रामीण युवाओं के हाथ ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई। ग्रामीण इलाकों के युवाओं को टॉवर खड़े होने के बाद दुनिया के साथ जुड़ाव होने की उम्मीद थी। पिछले कुछ बरसों से जियो के मोबाइल टॉवर जगह-जगह लोहे के स्तंभ की तरह खड़े हुए हैं। मोबाइल सेवा पूरी तरह से ठप्प पड़ी हुई है। साल्हेवारा के नीचे हिस्से बकरकट्टा और मलैदा के बीच के गांव के युवा तकनीकी रूप से संचार क्रांति से पृथक हो गए हैं।
ग्रामीणों की शिकायत है कि जियो नेटवर्क के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य विषयों से दक्ष होने का मौका हाथ से निकल रहा है। संंचार युग में अब भी ग्रामीण अच्छे नेटवर्क के लिए तरस रहे हैं। भावे, लछना-झिरिया, लमरा, काशीबाहरा समेत आसपास के ग्रामीण मोबाइल से लैस होकर भी बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं। जियो के टॉवर खड़े होने से पूर्व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की नीतियों का जमकर बखान किया था। यह दुर्भाग्य है कि राजनंादगांव जिले का एक इलाका मोबाइल सेवा से दूर है। जबकि शहरी और कस्बाई इलाके में धड़ल्ले से लोगों का मोबाइल से संपर्क बना हुआ है। जिले के उत्तरी इलाके की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुदूर गांव में बसे ग्रामीणों को अब भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आज के दौर में तकनीकी सुविधाओं का टोटा होने से सर्वाधिक नुकसान नई पीढ़ी को हो रहा है। साल्हेवारा और बकरकट्टा का इलाका मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने से पिछड़ेपन की मार झेल रहा है। जियो कंपनी का टॉवर खड़े होने के बाद भी बंद पड़ा हुआ है। ऐसे में ग्रामीण संचार क्रांति की आधुनिक सुविधा से कोसों दूर है।