सुकमा

कथित ड्रोन हमले के विरोध में हजारों ग्रामीण हुए एकत्रित
22-Apr-2022 8:49 PM
कथित ड्रोन हमले के विरोध में हजारों ग्रामीण हुए एकत्रित

नारेबाजी करते कथित ड्रोन हमले बंद करने की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 22 अप्रैल।
बीते दिनों बीजापुर और सुकमा जिले के सीमावर्ती इलाकों में कथित ड्रोन हमले पर नक्सलियों के आरोप के बाद इस मुद्दे पर हजारों की संख्या में ग्रामीण भी लामबंद होते नजर आए। सुकमा जिले के बुर्बलंका गांव में लगभग 4 हजार ग्रामीण इक_े होकर कथित ड्रोन हमले के विरोध में नारेबाजी करते नजर आए। इस दौरान माओवादियों के प्रचलित जनचेतना नाट्य मंडली भी वहां कार्यक्रम करती दिखाई दी। जनचेतना नाट्य मंडली ने कथित ड्रोन हमले पर एक गाना तैयार किया, जिस पर नाचते गाते इन ग्रामीणों से विरोध करने की अपील करते नजर आए।

हालांकि इस मामले में बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने पहले ही अपना बयान जारी कर कथित ड्रोन हमले के मुद्दे को नक्सलियों की सोची समझी साजिश बताते हुए सिरे से इन आरोपों को खारिज कर दिया था, लेकिन कुछ दिन बाद इसका विरोध सुकमा जिले के बीहड़ों में नजर आने लगा।

सूचना मिलते ही ‘छत्तीसगढ़’ की टीम भी वहां पहुंची, जहां ग्रामीणों की बड़ी भीड़ कथित ड्रोन हमले का विरोध कर रही थी। इन ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों को निशाना बनाने बीजापुर व सुकमा के सरहदी इलाकों में लगभग 11 ठिकानों में 50 से ज्यादा ड्रोन बम गिराए गए, जिनके अवशेष भी मिले हैं, लेकिन नक्सलियों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिन इलाकों में बमबारी की गई, वहां नक्सली मौजूद थे, लेकिन ड्रोन हमले से पहले वहां से नक्सली जा चुके थे और जिन इलाकों में बमबारी की गई है, वह ग्रामीणों का रिहायशी इलाका है, जहां वनोपज के साथ उन इलाकों में ग्रामीण भी रहते हैं।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि भारत का संविधान अपने ही देश में बमबारी करने का अधिकार किसी को नहीं देता, बमबारी अगर दूसरे देश में की जा रही है तो अलग बात है, मगर बस्तर तो भारत का ही हिस्सा है ऐसे में इन इलाकों में अपने ही घर में बमबारी न की जाए। ग्रामीणों की मांग है कि इस तरह से ड्रोन हमले न किए जाएं।

झूठे आरोप लगाकर नक्सली ग्रामीणों को दिग्भ्रमित कर रहे -आईजी
इस मामले पर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि माओवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के ऊपर इस प्रकार के निराधार आरोप लगाते हुये क्षेत्र की जनता को दिग्भ्रमित करना प्रतिबंधित गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन की एक सोची-समझी साजिश की रणनीति का हिस्सा है। बस्तर सहित पूरे भारत वर्ष में नागरिकों की जानमाल की रक्षा लोकतांत्रिक व्यवस्था अंतर्गत स्थानीय पुलिस एवं सुरक्षा बल द्वारा वर्तमान में की जा रही है तथा यह दायित्व को आने वाला समय में भी हम निभायेंगे। ये सब माओवादी आंदोलन का असली एवं भयानक चेहरा है। बसवराजू, सुजाता, गणेश उईके, रामचन्द्र रेड्डी, चन्द्रन्ना जैसे बाहरी माओवादी नेताओं की साजिश का शिकार होकर खुद अपने आदिवासी समाज की पैर में कुल्हाड़ी मार रहे हैं। स्थानीय माओवादी कैडरों को ये सब हकीकत को समझाना जरूरी है।

आईजी ने बताया कि ये जनसमर्थन समाप्त होने की बौखलाहट में माओवादी नेतृत्वों द्वारा असत्य एवं गुमराह जानकारियों के माध्यम से क्षेत्र की जनता का ध्यान भटकाने का लगातार असफल प्रयास किया जा रहा है।

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