राजनांदगांव
सडक़ की चौड़ाई बढ़ाने का प्रस्ताव अफसरों को ध्यान नहीं, पांच साल में ड़ेढ सौ से ज्यादा मौतें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 अप्रैल। राजनांदगांव-खैरागढ़ मार्ग में दो दिन पहले एक परिवार के पांच सदस्यों की सडक़ हादसे में हुई दर्दनाक मौत के बाद रास्ते की मौजूदा बनावट को लेकर लोगों में तीखी प्रतिक्रिया है। इस रास्ते के किनारे बसे गांवों के लोग अरसे से सडक़ के चौड़ीकरण के प्रस्ताव को लेकर अफसरों के ढीले रूख से काफी खफा हैं। राजनांदगांव-खैरागढ़ की 40 किमी की दूरी वाले इस रास्ते की संरचना हाल ही के वर्षो में सकरी हो गई है। रोजाना इस मार्ग में तकरीबन 4 हजार से अधिक वाहन दौड़ते है।
खैरागढ़ से होकर एक बड़ी आबादी का राजनांदगांव और कवर्धा की ओर आवाजाही होती है। वाहनों की बढ़ती तादाद से रास्ता काफी व्यस्तम हो गया है। सडक़ में बढ़ती वाहनों की संख्या के साथ हादसे में भी बढ़े है। एक जानकारी के अनुसार राजनांदगांव और खैरागढ़ के बीच हर साल 30 से ज्यादा लोगों की बीते पांच साल में मौत हुई है। यानी गुजरे पांच साल में तकरीबन 150 से ज्यादा लोगों को रास्ते में चलते दुर्घटना से जान गंवानी पड़ी है। शुक्रवार को कोचर परिवार के पांच की मौत होने के बाद इस मार्ग को नए सिरे से बेहतर बनाने की आवाज उठने लगी है।
राजनांदगांव से ठेलकाडीह और बढ़ईटोला-खैरागढ़ के मध्य सडक़ का दायरा सिमटकर रह गया है। दोनों के मध्य का मार्ग सकरा होने से खतरनाक हो गया है। इस तरह 40 किमी की दूरी वाले इस मार्ग में करीब 30 किमी का रास्ता सिकुडे हुआ आकार ले चुका है। गोपालपुर के बाद सहसपुर दिल्ली, बढ़ईटोला, और पेन्ड्रीकला में भी रास्ता सकरा रूप लिया हुआ है। खैरागढ़ शहर में दाखिल होने से पहले सोनेसरार मोड़ को सीधा करने अफसरों पास ठोस कार्ययोजना नही है।
बताया जाता है कि लोक निर्माण विभाग के अफसर हादसे से बचने के लिए खैरागढ़ बाईपास को बेहतर विकल्प मान रहे है। लेकिन बाईपास निर्माण की सुस्त चाल देखकर कार्य पूर्ण की मियाद को लेकर अफसर चुप्पी साधे हुए है। खैरागढ़ से राजनांदगांव मार्ग में तकरीबन आधा दर्जन अंधे मोड़ अभी हादसों की वजह रहे है। सडक़ निर्माण की चौड़ाई का प्रस्ताव शासन स्तर पर जरूर भेजा गया है। अफसरों ने प्रस्ताव बनाकर एक तरह से खानापूर्ति का काम किया है। अफसरों के बीच यह चर्चा भी सुनाई देती है कि आने वाले पांच साल के भीतर खैरागढ़ मार्ग को अंतागढ़-जबलपुर मार्ग के रूप में पहचान मिलेगी, पर अब तक लोगों को ऐसे ही खतरा मोल लेकर सफर करना होगा।