बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 मई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
बिल्हा जनपद पंचायत के ग्राम मोहतराई की सरपंच राजेश्वरी साहू से असंतुष्ट पंचों ने कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव की बैठक रखने का आवेदन दिया था। कलेक्टर के आदेश पर जनपद के सीईओ ने 28 जनवरी 2022 को सम्मेलन रखा, जिसमें सरपंच को पर्याप्त विश्वास मत नहीं मिले। प्रस्ताव पारित होने के बाद छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 21 के तहत राजेश्वरी साहू को पद से हटाकर उनके चुनाव में प्रतिद्वंदी रही उत्तमा राव को सरपंच का पदभार दिया गया।
निवर्तमान सरपंच राजेश्वरी साहू ने अविश्वास प्रस्ताव की कार्रवाई को कलेक्टर कोर्ट में चुनौती दी। मामले में अपर कलेक्टर ने सुनवाई की और 25 अप्रैल 2022 को अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को सही ठहराते हुए राजेश्वरी साहू की अपील खारिज कर दी। इस आदेश के विरुद्ध राजेश्वरी साहू ने आयुक्त की कोर्ट में अपील की।
अपर आयुक्त ने इस मामले को सुनने के बाद अविश्वास प्रस्ताव की कार्रवाई पर रोक लगा दी। इसके साथ ही राजेश्वरी साहू को हटाने और उत्तमा राव को सरपंच बनाए जाने की प्रक्रिया को शून्य घोषित कर दिया गया। आयुक्त के कोर्ट के इस आदेश को उत्तमा राव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसकी सुनवाई जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि एक बार विश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद स्थगन आदेश नहीं दिया जा सकता।