बिलासपुर

ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम से 460 किमी लैस, रेलवे में एसईसीआर पहले स्थान पर
07-Apr-2024 12:56 PM
ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम से 460 किमी लैस, रेलवे में एसईसीआर पहले स्थान पर

एक ही पटरी पर एक साथ दौड़ सकती हैं कई ट्रेन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 7 अप्रैल।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने हाल ही कुल 460 किलोमीटर सेक्शन ऑटोमैटिक सिग्नलिंग से लैस कर लिया है, जो किसी भी रेलवे जोन में सर्वाधिक है। यह उपलब्धि इस वर्ष सर्वाधिक 136.25 किलोमीटर में सिस्टम शुरू करने के बाद हासिल हुई है।

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं। नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं। इस सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती हैं। अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाती है एवं जो ट्रेन जहां पर रहेंगी वो वहीं पर रुक जाती हैं। यह अधिक ट्रेनों को चलाने में सहायक है और प्रमुख जंक्शन स्टेशनों पर ट्रैफिक को नियंत्रित करता है। जहां पहले दो स्टेशनों के बीच केवल एक ट्रेन चल सकती थी, वहां अब ऑटो सिग्नेलिंग के माध्यम से 4, 5 या 6 ट्रेनों को चलाया जा सकता है, जो दो स्टेशनों के बीच की दूरी पर निर्भर है।

इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ गई है। वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, यानि कि एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चलती है। इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहती है।

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