रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 3 जून। रायगढ़ जिले में जंगली हाथियों के बढ़ती संख्या से यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत गरीब किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जंगली हाथियों का दल भोजन पानी की तलाश में जंगलों से निकलकर रिहायशी क्षेत्रों में प्रवेश कर फसलों के अलावा घरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कभी इंसान से सामना होनें पर यहां जनहानि की घटना भी घटित हो जाती है। जिले के अलग-अलग वन परिक्षेत्रों में इन दिनों 59 जंगली हाथियों का दल विचरण कर रहा है। वन विभाग के द्वारा ऐसे हाथी प्रभावित क्षेत्रों में मुनादी कराकर सावधानी बरतने अपील भी की जाती है।
रायगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले धरमजयगढ़ क्षेत्र में एक लंबे अर्से से जंगली हाथियों का आतंक है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि यह क्षेत्र जंगली हाथियों का गढ़ बन चुका है। कई सालों से इस क्षेत्र के जंगलों में जंगली हाथियों की मौजूदगी रही है। एक जानकारी के अनुसार अभी वर्तमान स्थिति में धरमजयगढ़ क्षेत्र में 75 जंगली हाथी है, जो अलग-अलग वनपरिक्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। जिसके तहत छाल परिक्षेत्र में 31, पुरूंगा बीट में 14, कापू परिक्षेत्र में 15, बाकारूमा में 10, धरमजयगढ़ परिक्षेत्र में 05 अलग-अलग दलों में विचरण कर रहे हैं।
रायगढ़ जिले के अलग-अलग वन परिक्षेत्रों में लगातार जंगली हाथियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बनकर रह गई है। रायगढ़ जिले में बढ़ते औद्योगिकीकरण और लगातार कटते जंगलों से यहां जंगली हाथी और मानव के बीच द्वंद भी जारी है। पिछले सालों की अगर बात करें तो जंगली हाथी के हमले से 100 अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं। शाम ढलते ही जंगलों से निकलकर जंगली हाथियों का दल ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर जमकर उत्पात मचाने के बाद वापस जंगलों की ओर रूख कर जाते हैं। सुबह व शाम के वक्त जंगली हाथियों का दल मुख्य मार्ग में आकर घंटो यातायात प्रभावित करते हैं। वहीं कई गांव ऐसे है जहां दिन व रात जंगली हाथियों के खौफ से ग्रामीण बारी-बारी से रतजगा करके अपने घर व अपने फसलों की रखवाली करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बताते हैं कि वन विभाग के द्वारा लगातार जंगली हाथियों की निगरानी की जाती है और गांव में हाथी आमद की सूचना के बाद तत्काल मौके पर पहुंचकर हाथियों को वापस जंगलों की ओर खदेड़ते हुए लोगों को जंगलों की ओर नही जाने अपील की जाती है।