सुकमा

गांव तक सडक़ बनने की खुशी...
25-Jun-2022 5:57 PM
गांव तक सडक़ बनने की खुशी...

 जान जोखिम में डालकर सडक़ को गांव पहुंचाने वालों का पारंपरिक तरीके से स्वागत 

अमन सिंह भदौरिया
दोरनापाल, 25 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
सुकमा जिले के कोटा ब्लाक अंतर्गत बंडा इलाके से एक सुखद तस्वीर निकल कर सामने आई है, जहां गांव तक सडक़ बनने से खुश ग्रामीणों ने सडक़ की सुरक्षा में लगे सुरक्षाबल के जवानों का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया।

एक दौर था, जब लंबे समय तक अलग-अलग इलाकों में सडक़ों का विरोध देखने को मिलता था। पुलिस की तरफ से भी यह आरोप लगता रहा है कि नक्सली इन सडक़ों को नहीं बनने देना चाहते हैं और इसके विरोध में ग्रामीणों को आगे करते हैं। वो एक वक्त था, जब नक्सल प्रभावित इलाकों में सडक़ों व जवानों का विरोध हुआ करता था, लेकिन आज हालात बदल रहे हैं। उन इलाकों में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। जिसके कारण ग्रामीण अब सडक़ का विरोध नहीं बल्कि जवानों व सडक़ का स्वागत कर रहे हैं।

एक वक्त था, जब बदहाल रास्तों की वजह से साल भर में 4 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई थी। मरीज चारपाई के सहारे एंबुलेंस तक पहुंचता था। वक्त के साथ  बस्तर की तस्वीरें भी बदलती नजर आ रही है। सरकार इन बीहड़ों में सडक़ें बना रही है और इससे ग्रामीणों तक उनकी मूलभूत सुविधाएं भी पहुंचने लगी हैं। इन इलाकों में जवानों की कड़ी सुरक्षा में सडक़ें बनाई जा रही है क्योंकि नक्सली सडक़ नहीं बनने देना चाहते।  

गौरतलब है कि ये सुकमा जिले का घोर नक्सल प्रभावित बंडा गांव है। यहां पहले आवागमन के लिए सिर्फ पगडंडी थी। नक्सल दहशत के कारण इन इलाकों में विकास कार्य तो दूर की बात मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। लेकिन लगातार जिला व पुलिस प्रशासन के प्रयास से जिले के हालात बदल रहे हैं।

अब सडक़ों का जाल बिछाया जा रहा है। कोंटा से सडक़ निर्माण का कार्य शुरू हुआ और बंडा तक सडक़ निर्माण पहुंचा। जवानों की सुरक्षा में सडक़ निर्माण का कार्य चल रहा है। जब जवान गांव पहुंचे तो वहां गांव की महिलाएं व बच्चे एकत्रित हो गए। महिलाओं ने स्थानीय भाषा में स्वागत गीत गाकर नाच के माध्यम से खुशी का इजहार किया। जवानों ने भी महिलाओं का सम्मान किया और सुरक्षा का वादा किया।

ज्ञात हो कि सुकमा जिले के नक्सल इलाकों में जहां सालों से सिर्फ पगडंडी के माध्यम से ही लोग आना-जाना करते थे, लेकिन अब उन इलाकों में सडक़ों का निर्माण हो रहा है। खासकर नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों की कड़ी सुरक्षा के बीच सडक़ों का जाल बिछाया जा रहा है। कई ऐसे गांव हैं, जहां सडक़ों का निर्माण हुआ है। आवागमन के साधन बढ़ गए हैं। लोगों को अब पैदल चलकर कम आना पड़ रहा है। हालात बदल रहे हैं।

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