रायगढ़

भक्तों की पीड़ा हरने रथ यात्रा पर निकले महाप्रभु जगन्नाथ
03-Jul-2022 5:11 PM
भक्तों की पीड़ा हरने रथ यात्रा पर निकले महाप्रभु जगन्नाथ

 ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 3जुलाई। 
रायगढ़ की रियासत कालीन परंपरा के अनुसार आज तृतीया के दिन राजमहल प्रांगण से रथयात्रा शुरू की गई। रथ यात्रा के दौरान भगवान श्री के दर्शन के लिये सडक़ के दोनों तरफ जैसे पूरा शहर ही उमड़ पड़ा है। रथयात्रा चांदनी चैक, गांजा चैक, सदर बाजार, हटरी चैक, थाना रोड़ होते हुए घड़ी चैक पर आकर संपन्न हुई। जहां भगवान श्री के विगृहों को उनके गुडिचा मौसी के घर पहुंचाकर विराजमान कराया गया।

विश्व प्रसिद्व जगन्नाथ पूरी की रथयात्रा की तर्ज पर रायगढ़ में भी विगत कई दशकों से रथयात्रा का आयोजन संपूर्ण आस्था और पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। कोरोनाकाल के दो साल के प्रतिबंद्वकाल से पूर्व रायगढ़ में राजापारा स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति के द्वारा प्रमुख रूप से रथ यात्रा का आयोजन होता आया है। इसी तरह से चांदनी चौक से चांदनी चौक स्पोटिंग क्लब, सोनारपारा से प्रगति कला मंदिर तथा गांजा चौक से रथ यात्रा निकालने की परंपरा रही है। पिछले दो साल के कोरोनाकाल के प्रतिबंद के बाद इस वर्ष रथ यात्रा आयोजन समितियों ने और भी धूमधाम से रथ यात्रा का आयोजन किया है। पिछले पखवाड़े भर से लगातार इसकी तैयारी चल रही थी और आयोजन स्थलों को पिछले दो दिनों से दिन से लेकर रात तक गहमा-गहमी का माहौल रहा। रायगढ़ की रथोत्सव परंपरा के अनुरूप भगवान श्री जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर आरूढ कराने के बाद आज शाम आषाढ शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन यह रथ यात्रा का आागज हुआ।

परंपरा के अनुसार गांजा चैक, सोनारपारा के रथों को खींचकर पहले चांदनी चैक तक लाया गया। तो दूसरी ओर राज महल प्रांगण से हजारों भक्तों की मौजूदगी में हरिबोल के गुंज के बीच करमा दल, गांडा बाजा, दुलदुली बाजा की अगुवाई में रथ यात्रा शुरू हुई।
राजापारा का रथ धीरे-धीरे चांदनी चौक की ओर बढ़ा तथा रथ के चांदनी चौक पहुंचने पर चारो रथों की यात्रा शुरू हुई। पूरे रथ यात्रा के दौरान सडक़ के दोनों तरफ लगातार रथों की आरती और पूजा अर्चना श्रद्वालु भक्तों द्वारा की गई। परंपरा अनुसार सबसे पहले गांजा चैक के बाद सोनारपारा, उसके बाद चांदनी चैक और अंत में राजापारा का रथ अपने गंतव्य की ओर बढ़ा। सभी रथों में पूरी यात्रा के दौरान श्रद्वालु भक्तों को भगवान श्री के विशेष प्रसाद लाई, नारियल बूंदी और भीगा हुआ मूंग का वितरण किया गया।

रथ यात्रा के गांजा चैक पहुंचने पर 108 दीपों की आरती से रथ का स्वागत किया गया।तत्पचात यह रथ यात्रा आगे बढते हुए हटरी चैक थाना रोड़, होकर घड़ी चैक पहुंची जहां रथ यात्रा को विराम देकर भगवान श्री के विगृहों को पूरी श्रद्वा के साथ गांजा चैक स्थित उनके गुंडिचा मौसी के यहां पहुंचाया गया।

ऐसी परंपरा रही है कि भगवान श्री अपने गुंडिचा मौसी के यहां से पखवाड़े भर पश्चात बाहुआ रथ में वापस अपने श्री मंदिर में लौटेंगे। ऐसा माना जाता है कि साल भर जहां भक्तजन अपने भगवान के दर्शन करने श्री मंदिर में जाते हैं तो वहीं रथ यात्रा के दौरान भगवान श्री अपने प्यारे भक्तों को दर्शन देने के लिये मंदिर से बाहर निकलकर रथ में यात्रा करते हैं। उनकी इस रथ यात्रा को दरिर्द नारायण दर्शन यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा है रथ यात्रा इतिहास
रायगढ़ शहर तथा जिले में रथ उत्सव की पुरानी परंपरा रही है। रियासतकालीन समय में रथोउत्सव दस दिन तक मनाया जाता है और राजमहल प्रांगण में मेला  लगता था। रियासत के विलीनीकरण के पश्चात यह आयोजन दो दिनों तक सिमट कर रह गया है। वैसे तो रायगढ़ में भी जगन्नाथ पूरी की तर्ज पर रथोत्सव पूरी श्रद्वा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। किंतु पूर्व में एक ही दिन रथ यात्रा आयोजित करने के कारण गांव के लोग अपने-अपने क्षेत्र में भी रथ यात्रा का आयोजन करने के कारण रायगढ की रथ यात्रा नही देख पाते थे। उनके द्वारा रायगढ़ रियासत के तत्कालीन महराज भूपदेव सिंह से निवेदन करने पर बाद में यह रथ यात्रा द्वतीया और तृतीया को आयोजित होनें लगी। जिसमें रथ द्वतीया के दिन भगवान श्री को रथारूढ़ किया जाता है और तृतीया के दिन रथयात्रा निकाली जाती है।

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