रायगढ़

पार्षद के नेतृत्व में बाबाधाम के लिए कांवरिये
18-Jul-2022 4:40 PM
पार्षद के नेतृत्व में बाबाधाम के लिए कांवरिये

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 18 जुलाई।
दो साल बाद कोरोना की बाधा को पारकर उत्साह और उल्लास के साथ भक्तों ने सावन का स्वागत किया है। नगर एवं आसपास के शिव भक्तों द्वारा जल चढ़ाने के लिए बाबा धाम, पशुपतिनाथ,  केदारनाथ, चंद्रपुर एवं चार धाम की यात्रा के लिए निकल गए हैं। ऐसी ही एक टोली पार्षद अमित तिवारी के नेतृत्व में बाबा धाम के लिए निकले हैं।

नगर के शिव मंदिरों में रंग बिरंगी रोशनी जगमगा रही है , वही विगत गुरुवार से भगवान शिव की प्रिय मास सावन की शुरुआत हो गई है, जो 12 अगस्त तक रहेगा। सुबह मंदिरों के कपाट खुलने के साथ भोले का श्रृंगार और रूद्राभिषेक का कार्यक्रम शुरू हो जाता है।  वहीं शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए भक्त कतारबद्ध होकर अपनी पारी का इंतजार करते दिख रहे हैं।

नगर के शिव मंदिर खगेश्वर नाथ व घोघरा नाला के साथ, ताला मंदिर और नगर के छोटे मठ मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। जहां प्रतिदिन गोपाल जी छोटे मठ मंदिर पर रुद्राभिषेक किया जा रहा है । जहां अलग-अलग दिन भक्तों द्वारा रुद्राभिषेक कर पूजा अर्चना की जा रही है।

सावन माह की शुरुआत से शंकर की भक्ति में डूबे दिखाई दे रहें है। पहले दिन गुरुवार सुबह से ही शिव भक्त शिवलिंग में जलाभिषेक के साथ भक्ति में जुट गए है। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, दुग्ध, भस्म, भांग,  धतूरा, मीठा आदि अर्पित कर पूजन किये।

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अर्चना के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर रहें है ब्राह्मण से जाप भी करवा रहें है। नगर के शिव मंदिरों में अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए विशेष अनुष्ठान चल रहा है।
बेल पत्ता जलाभिषेक का विशेष महत्व है। पंडित बंशीधर मिश्रा का कहना है कि श्रावण माह में शिवजी को एक अखंड बेलपत्र चढ़ाने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश होता है। इसके अलावा जल , कच्चा दूध, सफेद फूल, भस्म, धतूरा , कनेर , श्वेत वस्त्र आदि का अभिषेक करने से मनो कामना पूर्ण होती है।

श्रावण माह में शिव महापुराण, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं मंत्र जप करने से सारे पाप नष्ट हो जाता है। वहीं शिवलिंग में जलाभिषेक करने पहुंचे नगर के भक्तों का कहना है कि - वे हर साल सावन में महादेव को जल अभिषेक करने मंदिर पहुंचते हैं जिसके साथ ही मंत्र का जाप भी करते हैं। इससे उन्हें आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। भगवान भोलेनाथ की प्रतिदिन पूजा, आराधना करने से मनोकामना पूरी होती है।
 

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