सुकमा
सुकमा, 23 जुलाई। इस साल सावन मास की शुरुआत 14 जुलाई से हो चुकी है। सावन में कांवड़ यात्रा को भी धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व दिया गया है। सुकमा में परम्पराओं की शुरुआत करते हुए महिला मंडली की कांवडिय़ों का जत्था सुकमा स्थित शबरी नदी से जल लेकर शहर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध महादेव मंदिर पहुंचा, यहां भगवान शिव की आराधना व पूजन कर जलाभिषेक किया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ के भक्त हरिद्वार से पवित्र नदी गंगा का जल लेकर शिवजी का अभिषेक करने के लिए अपने स्थानीय शिव मंदिर तक कांवड़ को कंधे पर उठाकर लाते हैं। ये संपूर्ण यात्रा पैदल ही की जाती है। कावड़ यात्रा करने वाले भक्तों को कांवडिय़ा कहा जाता है। कांवड़ के जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक श्रावण मास की चतुर्दशी के दिन किया जाता है। मान्यता है कि इस कठिन यात्रा को करके कांवड़ के पवित्र जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और शिव जी की कृपा उस पर बनी रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस कांवड़ यात्रा द्वारा यह संदेश मिलता है कि भगवान भोलेनाथ केवल अपने भक्तों की श्रद्धा और एक लौटे जल के अभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं।