बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 23 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शराब, गुटखा की आदी पत्नी से पति को तलाक लेने के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। परिवार न्यायालय ने पति के आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
बांकीमोंगरा के उदय शर्मा का विवाह 19 मई 2015 को कटघोरा की युवती से हुआ था। पति ने याचिका में बताया कि शादी के 7 दिन बाद ही 26 मई की सुबह उसकी पत्नी बिस्तर पर अचेत अवस्था में पड़ी थी। उसे लेकर वह अस्पताल गया जहां पता चला कि वह शराब, नॉनवेज और गुटखा की आदी है। पति ने सोचा कि शादी हो जाने के बाद अब उसके व्यवहार में सुधार हो जाएगा, पर उसने ससुराल वालों से दुर्व्यवहार शुरू कर दिया। इस बीच वह गर्भवती भी हुई पर पति की जानकारी के बिना उसने गर्भपात करा लिया। यही नहीं वह ससुराल वालों को झूठे केस में फंसाने की धमकी देने लगी। उसके व्यवहार को देखकर उसने रायपुर में मनोचिकित्सक से उपचार भी कराया। इसके बाद भी व्यवहार में सुधार नहीं आया तो उसने पत्नी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार पति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) के तहत परिवार न्यायालय में तलाक का आवेदन लगाया। पत्नी के खिलाफ पति के सबूतों को कोर्ट ने नजरअंदाज करते हुए अर्जी खारिज कर दी। इस आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। इसकी सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने की। कोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को खारिज कर पति के तलाक के आवेदन को स्वीकर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि पति और ससुराल वालों को झूठे केस में फंसा देने की बार-बार धमकी देना, खुदकुशी का प्रयास करना और पति की सहमति के बिना गर्भपात कराना कू्ररतापूर्ण व्यवहार है। ऐसी स्थिति में पति के आवेदन को स्वीकार किया जाना उचित है।