महासमुन्द

एक महीने बाद भी नहीं आया विभाग की ओर से बिजली के खंभों को विस्थापित करने का डिमांड
30-Oct-2022 2:49 PM
एक महीने बाद भी नहीं आया विभाग की ओर से बिजली के खंभों को विस्थापित करने का डिमांड

बेलसोंडा रेलवे क्रासिंग पर ब्रिज निर्माण की कार्रवाई धीमी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 30 अक्टूबर।
एक महीने पहले पत्र देने के बावजूद बिजली विभाग की ओर से बिजली के खंभों को विस्थापित करने का डिमांड अब तक नहीं आ पाया है। इस कारण एनएच विभाग ओवरब्रिज का इस्टीमेट बनाकर केंद्र सरकार को नहीं भेज पा रहा है। लिहाजा राष्ट्रीय राजमार्ग-353 बेलसोंडा रेलवे क्रासिंग पर ब्रिज निर्माण की कार्रवाई धीमी पड़ गई है। अब कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार को इस्टीमेट मिलने के बाद ही एनएच को टेंडर निकालने की स्वीकृति मिलेगी, जिसके बाद आरओबी का काम शुरू हो पाएगा।

गौरतलब है कि बेलसोंडा रेलवे क्रासिंग पर आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए ओवरब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से काम धीमी रफ्तार से चल रहा है। बिजली विभाग के अधिकारियों की मानें तो डिमांड के लिए एनएच की ओर से अभी पत्र नहीं आया है।

वैसे भी वाल्टेयर रूट में दोहरीकरण व इलेक्ट्रिफिकेशन का काम मंदिर हसौद तक पूरा होने के कारण मालगाड़ी के फेरे बढ़ गए हैं। हर आधे घंटे में बेलसोंडा ब्रिज का फाटक बंद होता है। इसकी वजह से फाटक के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। यदि दो ट्रेनें एक साथ क्रास होती है तो कतार करीब 1 से डेढ़ किमी तक लगती है। इसके बाद यातायात को बहाल करने में करीब 1 घंटा लग जाता है।

इस मार्ग में जाम से मुक्ति मिले इसी के लिए ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। ब्रिज का ड्राइंग डिजाइन रेलवे ने पास कर दिया है। स्वीकृति मिलने के बाद धारा का प्रकाशन भी हो गया है। वर्तमान में एस्टीमेट बनाने का काम चल रहा है। जिसके बाद टेंडर होगा। प्रक्रिया जल्द हो इसके लिए एनएच के अधिकारी काम में जुटे हुए हैं। आरओबी का काम 2023 में शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

इस ब्रिज निर्माण के हिस्से में 100 से अधिक बिजली के खंभे व दो से तीन ट्रांसफार्मर आ रहे हैं। इन्हें हटाने के बाद ही ब्रिज का निर्माण होगा। इन्हें दूसरी जगह स्थापित करने के लिए बिजली विभाग से डिमांड लेना पड़ता है। जिस ठेकेदार को टेंडर मिलेगा वो उक्त डिमांड का भुगतान करेगा ताकि बिजली ठेकेदार खंभों को हटाकर दूसरी जगह स्थापित कर सके। इस तरह बिजली विभाग से डिमांड मिलने के बाद ही एस्टीमेट तैयार होगा। शासन से राशि की स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर होगा और काम की शुरुआत होगी।
एनएच के अभियंता एनके द्विवेदी का कहना है कि एक महीने पूर्व बिजली विभाग को सडक़ किनारे लगे बिजली खंभों का डिमांड बनाने के लिए पत्र भेजा गया है। लेकिन आज तक डिमांड नहीं मिला है। इसेके कारण एस्टीमेट बनाकर भेजने में देरी हो रही है।
 

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