महासमुन्द

भाजपा ने कृषि साख सहकारी समितियों में नियुक्तियों का किया विरोध
01-Nov-2022 2:23 PM
भाजपा ने कृषि साख सहकारी समितियों में नियुक्तियों का किया विरोध

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,1 नवंबर।
भाजपा किसान मोर्चा महासमुंद ने जिले सहित प्रदेश मेें कांग्रेस सरकार द्वारा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में  मनोनयन को लोकतंत्र की हत्या बताकर पुराने बोर्ड की बहाली की मांग करते हुए राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है।

ज्ञापन में भाजपा किसान मोर्चा ने उल्लेख किया है कि 2017 में निर्वाचित समस्त 1333 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के बोर्ड को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सोसाइटियों के पुनर्गठन करने के नाम पर 25 जुलाई 2019 को असंवैधानिक तरीके से भंग कर दिया गया था। इसके बाद शासन के आदेशानुसार सभी सोसाइटियों में प्राधिकृत अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई थी। अधिकांश सोसायटियों के द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। उच्च न्यायालय द्वारा 22 नवंबर 2019 को बोर्ड की दोबारा बहाली का आदेश जारी किया गया। इस प्रकार लगभग 4 माह तक अवैधानिक रूप से सोसाइटियों के बोर्ड को भंग कर प्राधिकृत अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई थी जो नियम विरुद्ध थी।

भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष दुबे लाल साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 49-7क
एक परंतुक में स्पष्ट प्रावधान है कि जहां किसी बोर्ड को अतिष्ठित या निलंबित किया गया हो या अधिनियम हटाया गया हो, किसी न्यायालय के या प्राधिकारी के आदेश के फलस्वरूप पुन: स्थापित हो जाती है कि वहां वह कालावधि जिसके दौरान वह बोर्ड यथास्थिति अतिष्ठित, निलंबित या पद पर नहीं रही है। लेकिन सोसाइटियों के निर्वाचन के प्रथम सम्मेलन की तारीख से 5 वर्ष बीतते ही बोर्ड के कार्यकाल के अवसान का उल्लेख करते हुए शासन द्वारा सोसाइटियों में प्राधिकृत अधिकारियों को पदस्थ कर दिया गया।

जबकि उपरोक्त कारणों से सभी 1333 सोसायटियों के बोर्ड के कार्यकाल की अवधि का अवसान 4 माह पश्चात होना था। इसलिए अनुरोध है कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम एवं नियमों के तहत लगभग 4 माह की अवधि के लिए तत्काल सोसाइटियों के बोर्ड की बहाली सुनिश्चित कराने के लिए छत्तीसग सरकार को निर्देश जारी किया जाए। इसके बाद निर्वाचन की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जानी चाहिए। इसलिए नवगठित 725 सोसाइटियों का निर्वाचन भी तत्काल कराए जाने हेतु छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश जारी करने राज्यपाल से मांग की गई है।
 

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