सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 1 नवंबर। सुकमा बसस्टैंड परिसर में कल आरक्षण कटौती के विरोध में सीपीआई द्वारा विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया।
धरना में वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार अनुसूचित जनजातियों को शिक्षा और रोजगार में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का व्यवस्था है। जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजातियों को 32 फीसदी आरक्षण पूर्व में दिया गया था, लेकिन आरक्षण के विरूद्ध छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर याचिका के जवाब में छत्तीसगढ़ राज्य शासन की ओर से ईमानदारी से सही तथ्यों को पेश नहीं किये जाने से अनुसूचित जनजाति समुदाय को भारी नुकसान हुआ है। अनुसूचित जनजाति के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।
चूंकि छत्तीसगढ़ का गठन आदिवासी समुदाय के उचित विकास और आदिवासी को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार उलब्ध करने के लिए उद्देश्य से किया गया है। उच्च न्यायालय के 32 फीसदी आरक्षण खत्म करने के आदेश का प्रभाव जिला व संभाग में भरे जाने वाले पदों तथा उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा पाने में भी असर होगा। इससे आदिवासी समुदाय में चिंता पैदा हो गई है और आंदोलित है और हमारी पार्टी भी आंदोलन कर रही है। क्योंकि आप अनुसूचित क्षेत्रों के संवैधानिक संरक्षक है। 32 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए आप जरूरी कार्यवाही करने की कृपा करें।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जिला परिषद सुकमा मांग करता है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति समुदाय को 32 फीसदी आरक्षण पुन: बहाल किये जाये।
इस दौरान पूर्व विधायक मनीष कुंजाम,रामा शोडी,हडमा,महेश कुंजाम ,मंजू कवाशी, राजेश नाग व अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।