सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 7 नवंबर। मूलवासियों के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ मूलवासी जमीन बचाव मंच के नेतृत्व में कलेक्टोरेट घेराव कर डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। बस्तर संभाग के सुकमा जिला 5वीं अनुसूची क्षेत्र के अन्तर्गत है। सुकमा ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाया गया, अब नगरपालिका परिषद हो गया है।
कलेक्टर सुकमा को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया कि पुरखों से काबिज भूमि का पट्टा देने व नगरपालिका सुकमा में खेती जमीन पर जबरन अधिग्रहण पर रोक लगाने के लिए 18दिनों से धरना पर हैं, 5वीं अनुसूची क्षेत्र के पेसा कानून के नियमों का लाभ यहां के मूलवासियों को नहीं मिल रहा है। सुकमा जिला बनने के बाद स्थिति और बदतर हो गया है। लगातार मूलवासियों के खेती जमीन पर शासकीय भवनों और अन्य प्रायोजन से जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है।
आगे कहा कि मूलवासियों के विरोध के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रशासकीय अधिकारी यह कहते हंै कि जमीन सरकारी है, इसमें तुम्हारा अधिकार नहीं है। ऐसे बेजा कब्जा जमीन पर यहां के आदिवासी मूलवासी लोगों का कब्जा है। 5-6 पीढिय़ों से ज्यादा समय से हंै, ऐसे जमीन का पट्टा नहीं मिला। इसके जिम्मेदर इस दौरान के राजस्व अधिकारी है। बाद में आये चालाक लोगों ने जंगल पर पट्टा बना लिया है। जबकि हमारी खेती की जमीन को पट्टा नहीं है। इस विडम्बना का शिकार गांव से शहर बन रहे सभी जगहों के आदिवासी मूलवासी लोग हो रहे हंै।
आदिवासी किसानों के जमीन पर जबरन भवन निर्माण
आदिवासियों के जमीन पर फोर्स तैनात कर पटवारी, तहसीलदार द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाकर बड़े-बड़े गड्ढे किए और अधिग्रहण कर लिया गया। इसके विरोध में किसान 21 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। लेकिन लोकतंत्र की महिमा गाने वाले व विश्व का सबसे बडा लोकतंत्र कहा जाने वाले देश के ग्रामीण किसानों का कोई सुनता नहीं और आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
किसान काफी आक्रोशित और परेशान -रामा
जिला पंचायत सदस्य रामा शोडी ने प्रशासन व शासन को आड़े हाथ लेते हुए सरकार की नीतियों के खिलाफ कहा कि 18 दिनों से धरने पर बैठे किसान व मूलवासियों के प्रति प्रशासन व शासन की उदासीनता हमें आंदोलन के लिए प्रेरित करती है। आज 18 दिन हो गये कोई सुनवाई नहीं हुई। मूलत: वर्षों से काबिज जमीन शासन द्वारा अधिग्रहण करना सरासर पेसा कानून का उल्लघंन है। विडम्बना है कि आदिवासी वर्षों से काबिज जमीन के लिए आंदोलन कर रहे हैं, जो अन्याय पूर्ण है, सरकार सुनिश्चित करें मूलवासियों के जमीन को अधिग्रहण न करने की और सुनिश्चित न होने तक आंदोलन जारी रहेगी। शासन को मूलवासियों की जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए आंदोलनरत हैं, उनकी जहां संख्या अधिक है, उसे ग्रामपंचायत घोषित की जाए ।
धरना प्रदर्शन में रामा शोडी ,संजय शोडी,हडमा,राजेश नाग, शोभन,मूलवासी जमीन बचाओ मंच के अध्यक्ष व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
प्रमुख मांगें-
1. पावारास के आदिवासी मूलवासी का कृषि भूमि शासकीय भवन हेतु अधिग्रहण की गई कार्रवाई को निरस्त किया जाये । 2. मूलवासियों को काबिज कृषि व आवासीय भूमि का पट्टा दिया जाय । 3. वनाधिकार कानून 2006 के अनुसार सुकमा नगर पालिका क्षेत्र में काबिज सभी मूलवासियों व किसानों को वनाधिकार पट्टा दिया जाय । 4. नगर पालिका क्षेत्र सुकमा में पेसा कानून के प्रावधानों को लागू किया जाये या बाहुल्य ग्रामों का अलग ग्राम पंचायत गठन किया जाये। 5 मंदिर के समीप स्थित शराब भट्टी हटाया जाए।