सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 9 नवंबर। आज मिनी स्टेडियम ग्राउण्ड में चल रहे नेशनल ट्राइबल स्काउट गाइड रेंजर रोवर कार्निवल के दूसरे दिन स्काउट गाइड के लिए लोक गीत संगीत गायन की स्पार्धाएं आयोजित की गई। इस अवसर पर राज्यों और जिलों के स्काउट्स गाइड्स के द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों एवं प्रादेशिक विशेषताओं को फोकस करते हुए लोक गीत और संगीत पर बखूबी प्रस्तुतियां दी गई, जिसके लिए देर तक उपस्थित आगंतुकों की तालियां बजती रहीं।
ज्ञात हो कि उक्त कार्निवल में केन्द्र शासित प्रदेश दादर नगर हवेली, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, साउथ ईस्टर्न रेलवे, सेन्ट्रल रेलवे, ओडिशा के अलावा राज्य के कांकेर, सुकमा, नारायणपुर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, महासमुंद जैसे अन्य जिलों के स्काउट्स गाइड्स एवं रोवर रेंजर्स भाग ले रहे हैं। इस क्रम में सर्वप्रथम कार्निवल में रहने के नियम, दिनचर्या, आने जाने की व्यवस्था एवं विभिन्न स्पर्धाओं के साथ ही परिचयात्मक जानकारी दी गई। तत्पश्चात् ईस्ट कोस्ट रेलवे के स्काउट्स गाइड्स के द्वारा ओडिय़ा संबंलपुरी लोकगीत ‘‘रोंगोबोती‘‘ की प्रस्तुति दी गई। साथ ही मध्य प्रदेश के दल द्वारा प्रदेश की प्रमुख विशेषताओं को इंगित करते हुए गीत गाया गया। इसके साथ ही आन्ध्र प्रदेश के टीम ने मनमोहक नृत्य के माध्यम से लोकगीत की प्रस्तुति दी। वहीं उत्तर प्रदेश की टीम ने देशभक्ति गीत गाकर सबका मन जीत लिया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की टीम ने हल्बी गीत ‘‘बस्तर मोचो काय सुन्दर माटी‘‘, ओडि़सा के दल ने ओडिय़ा लोक गीत, दादर एवं नगर हवेली ने गुजराती एवं सेन्ट्रल रेलवे के स्काउट्स गाइड्स ने मराठी लोकगीत की प्रस्तुति देकर समा बांधा।
जिलों में कोण्डागांव की टीम द्वारा ‘‘जांवां जावां रे दादा दीदी बस्तर दखुकलाय जांवां, बस्तरिया संग गोठियांवां‘‘ एवं कांकेर के द्वारा सुआ गीत की मनभावन प्रस्तुति दी गई।
एकता रैली में गूंजा वन्दे मातरम् का उद्घोष
इस पांच दिवसीय कार्निवल में 9 नवम्बर को स्काउट्स गाइड्स के द्वारा प्रात: जिला मुख्यालय में अपने अपने क्षेत्रों के पारंपरिक परिधान पहने हुए वन्दे मातरम् का उद्घोष करते हुए मिनी स्टेडियम से गादीरास चौक तक एकता रैली निकाली गई।
लोकगीत-संगीत-नृत्य कला के जरिए बताया अपने राज्यों की खासियत
इतिहास और संस्कृति व परम्पराओं को लोकगीत- संगीत और नृत्य आदि कला के जरिए शानदार प्रस्तुतियां दी गई। विभिन्न राज्यों से आए प्रस्तुतकर्ताओं की इन प्रस्तुति में देश की विविधता में एकता की झांकी देखने को मिला।
12 महीने 13 त्योहारों का राज्य
दल ने विभिन्न कला के जरिए ओडिशा के संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में बताया कि ओडिसा खाने और खिलाने में विश्वास रखते हैं क्योंकि प्रभु श्री जगन्नाथ भी 56 भोग करते हैं। इसके साथ ही ओडिसा 12 महीने 13 त्योहारों का राज्य है। उन्होंने अपने प्रदर्शन में लोगों को ओडिशा के श्री जगन्नाथ संस्कृति और गांव का दर्शन भी कराया। उन्होंने रजो पर्व को ओडिसा के महत्वपूर्ण त्योहार बताया। इसके साथ ही ओडिसा के दल द्वारा बघनट नाटक कला का प्रदर्शन किया गया।
भाषा सबंधी दीवार नहीं बनी बाधा
आन्ध्र प्रदेश के स्काउट्स गाइड्स ने तेलगु भाषा में अपनी संस्कृति-परम्परा आदि की जानकारी दी। उन्होंने अपने पारम्परिक वेशभूषा में तेलगु लोक नृत्य में आन्ध्र प्रदेश का दर्शन कराया, जिसने भाषा सबंधी दीवार को भी तोड़ दिया।