बीजापुर

 2 जिले, 5 कॉलेज और एक प्रभारी प्राचार्य
22-Nov-2022 9:44 PM
 2 जिले, 5 कॉलेज और एक प्रभारी प्राचार्य

   पहचानते तक नहीं ज्यादातर कॉलेजों के स्टूडेंट्स   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 22 नवंबर।
उच्च शिक्षा विभाग की इन दिनों गजब की व्यवस्था सामने आई है। बीजापुर और पड़ोसी जिले दंतेवाड़ा के 5 कॉलेजों को महज एक प्रभारी प्राचार्य के भरोसे छोडक़र पढ़ाई करवाई जा रही है।

इस बारे में  बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी लेकर ही आगे कुछ कह पाऊंगा।
 
बीजापुर जिले के एक कॉलेज के प्राध्यापक को दंतेवाड़ा व बीजापुर जिले के 5 कॉलेजों का प्रभारी प्राचार्य बनाकर रखा हुआ है। ये कॉलेज दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण, कुआकोंडा व जावंगा व बीजापुर जिले के भैरमगढ़ व भोपालपटनम में संचालित शासकीय महाविद्यालय शामिल हैं। इन कॉलेजों के डीडी पावर यानि आहरण संवितरण का अधिकारी इन्हें सौंपा गया है।

दिलचस्प बात यह है कि अब तक जावंगा, कुआकोंडा, भैरमगढ़ व कटेकल्याण कॉलेज के ज्यादातर स्टाफ व स्टूडेंट्स ने इतने साल में अपने प्रभारी प्राचार्य को देखा तक नहीं हैं। सिर्फ कागजों पर ही प्राचार्य की उपस्थित दर्ज हो रही है और कर्मचारियों के वेतन-भत्ते उनके हस्ताक्षर से निकल रहे हैं।  सबसे दिलचस्प बात यह है कि भोपालपटनम से कटेकल्याण कॉलेज की दूरी लगभग 200 किमी और कुआकोंडा कॉलेज की दूरी लगभग 180 किमी है। इसी तरह गीदम की दूरी 140 किमी है।
 
मूल कॉलेज में अपनी कक्षा तक नहीं लेते
5 कॉलेजों के प्रभारी प्राचार्य बने डॉ. अरूण कुमार दीक्षित मूलत: शासकीय महाविद्यालय भोपालपटनम में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक हैं, लेकिन अपने ही कॉलेज में कक्षाएं लेेने नहीं पहुंचते।
 
इस बारे में प्रभारी प्राचार्य व प्राध्यापक डॉ. एके दीक्षित से बातचीत की, तो उनका कहना था कि शासन ने अपनी व्यवस्था के तहत उन्हें प्रभार सौंपा है, तो जिम्मेदारी निभानी ही पड़ेगी। एक-एक कॉलेज में कई बैठकें होती हैं, कॉलेज के मामलों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठकें होती रहती हैं। इसके अलावा बस्तर यूनिवर्सिटी में डीन की जिम्मेदारी भी है। रहा सवाल भोपालपटनम कॉलेज में कक्षाएं लेने का, तो प्रशासनिक दायित्व सौंपा गया है, तो कक्षाएं कैसे ले सकते हैं?  
 
स्टाफ की कमी से जूझ रहे कॉलेज
शासकीय महाविद्यालय भोपालपटनम में स्टाफ की बेहद कमी है, 16 पोस्ट के विरूद्ध 7 की नियुक्ति हुई थी, 5 आए ही नहीं। अभी सिर्फ 3 रेगुलर सहायक प्राध्यापक हैं। इसी तरह शासकीय महाविद्यालय भैरमगढ़ में स्वीकृत 15 पद के विरूद्ध 9 पद खाली हैं। ऐसी ही स्थिति दंतेवाड़ा जिले के जावंगा, कटेकल्याण और कुआकोंडा में शुरू हुए नवीन महाविद्यालय की है।

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