बीजापुर

नक्सलगढ़ की वादियों में 17 साल बाद अब गूंजेगी स्कूल की घण्टी
27-Nov-2022 6:45 PM
नक्सलगढ़ की वादियों में 17 साल बाद अब गूंजेगी स्कूल की घण्टी

दहशत के तिलस्म को तोड़ शिक्षा की अलख जगाने आगे आये पेदाकोरमा के ग्रामीण

   शांति विकास और विश्वास की मुहिम बदल रही बयार   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 27 नवंबर।
दो दिन पहले पेदाकोरमा के ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के महकमे के साथ गांव की तस्वीर में बदलाव लाने की शुरुआत की। दरअसल सलवा जुड़ुम अभियान और माओवाद दहशत से 17 साल पहले यहां सरकार की सारी व्यवस्था ठप्प हो गई थी। बच्चों के भविष्य को गढऩे वाला स्कूल मलबे में तबदील हो गया और पूरे इलाके को आतंक और हिंसा ने माओवाद की जद में ले लिया। छत्तीसगढ़ सरकार की शांति और विश्वास बहाली की मुहिम के तहत स्कूल दोबारा खोलकर बच्चों को शिक्षा के मुख्यधारा से जोडऩे की मुहिम का असर रंग लाने लगा है। स्कूल खोलने से बनते बेहतर माहौल के बीच पेदाकोरमा पंचायत के ग्रामीणों ने स्कूल के जरिए अपनी दशा और दिशा बदलने का बीड़ा उठाया और दहशत हिंसा से बाहर निकलने की राह बना डाली।

पेदाकोरमा और मुनगा के ग्रामीणों ने अपने घरों को ज्ञान की गुड़ी बना दिया और फिर से बच्चों की क ख ग घ की गूंज वादियों में सुनाई देने लगी। मुनगा में 90 बच्चों और पेदाकोरमा में 70 बच्चों के साथ शुरू हुए स्कूल में 17 साल बाद एक नई कहानी गढ़ती नजऱ आने लगी है। दरअसल पेदाकोरमा बीजापुर का वो इलाका है जहां नक्सली दहशत और आतंक कदम-कदम पर मौत का अहसास कराती है। यहां तक पहुंचने के लिए न कोई सडक़ है न पगडंडी।

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर बाइक से जाने के बाद 12 किलोमीटर बारूदी सडक़ से गुजरकर पैदल सफर करना यहां की नियति है। पग-पग में सुरक्षा बलों व माओवादियों की दहशत को पार करना किसी बड़ी जोखिम से कम नहीं होता। ऐसे कठिन हालातों में तालीम की ढह चुकी इबारत को फिर से कायम करना आसान नहीं होता इसके बावजूद इसे आतंक की बाधाओं को पारकर अमलीजामा पहनाने में शिक्षा विभाग की टीम ने क़ामयाबी पाई है।

दो दिन के सफर में रात बीहड़ो में खौफ के साए में गुजारने के बाद दूसरे दिन की सुबह दहशत की काली रातों के साये को छोड़ सूरज की रोशनी से जगमगाने की थी। ये बदलाव हिंसा से अहिंसा की ओर ले जाने की एक राह बन गई जिस पर अब यहां के ग्रामीण चलना चाहते हैं। खुद झोपड़ी तानकर बच्चों को स्कूली ड्रेस में तैयार कर जब ग्रामीणों ने अपने पारम्परिक रीति-रिवाजों से पेरमा गायता और ग्राम प्रधान की मौजूदगी में स्कूल का उद्घाटन कर घंटी बजाई तो एक बदलते दौर और बदलते हालात की तस्वीर बयां करने लगी।

खंड शिक्षा अधिकारी मोहम्मद जाकिर खान ने बताया कि पेद्दाकोरमा और मुनगा अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है। यहां पर विगत 17 वर्षों से प्रशासन की पहुंच नहीं थी, तथा यह क्षेत्र बरसात में जिला मुख्यालय से कट जाता है। यहां के ग्रामीणों ने कलेक्टर बीजापुर से स्कूल खोलने की मांग रखी थी। जिसके पश्चात जिला मुख्यालय से हमारी टीम शुक्रवार को क्षेत्र में पहुंचकर वहां ग्रामीणों के साथ रात बिताई और अगले दिन शनिवार को दोनों गांव में स्कूल प्रारंभ कर वहां से लौटी। इस क्षेत्र में  17 साल बाद ग्रामीणों के मांग और सहयोग से स्कूल का खुलना ग्रामीणों का सरकार और प्रशासन पर विश्वास का बढऩा बताता है।

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