बीजापुर

सर्व आदिवासी समाज के आव्हान पर बीजापुर बंद रहा
05-Jan-2023 10:07 PM
सर्व आदिवासी समाज के आव्हान पर बीजापुर बंद रहा

राज्यपाल-सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बीजापुर, 5 जनवरी। आरक्षण संवैधानिक अधिकार व समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने एक दिवसीय बंद बुलाया था। समाज के आव्हान पर बुलाये गये बंद का बीजापुर मुख्यालय में व्यापक असर देखने को मिला है। साथ ही जिले के भोपालपटनम आवापल्ली भैरमगढ़ ब्लाक में बंद का असर रहा। व्यापारियों ने  बंद को समर्थन दिया था। कोतापाल चौक में चक्काजाम कर नौ बिंदुओं को लेकर राज्यपाल के नाम  एडीएम को  ज्ञापन सौंपा गया।

नगर में कोई अप्रिय स्थिति न हो इसे ध्यान में रखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। धरना खत्म होने के बाद व्यापारियों ने अपनी प्रतिष्ठानें खोलनी शुरू कर दी। धरना में शामिल होने भोपालपट्टनम, आवापल्ली उसूर और भैरमगढ़ से सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि आए हुए थे। धरना स्थल पर सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष अशोक तलांडी, जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुडियम, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जमुना सकनी, नरेंद्र बुरका, सीताराम मांझी, अनिल बुरका, गुज्जाराम पवार सहित समाज के विभिन्न घटकों के समाज प्रतिनिधि शामिल रहे।

आदिवासियों को लड़ाकर राजनीतिक शक्तियां अपनी रोटी सेंक रही- अशोक तलांडी

सर्व आदिवासी समाज के बीजापुर अध्यक्ष अशोक तलांडी ने कहा कि आदिवासी समाज के आरक्षण, संवैधानिक अधिकार तथा स्थानीय जन समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने एक दिवसीय धरना और बंद का आव्हान किया था।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में विभिन्न मतों और पथों को मानने वाले लोग हैं।  आदिवासी समाज का सांप्रदायिक करण स्वीकार्य नहीं है। आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ा कर राजनैतिक शक्तियां अपना हित साधना चाहती है। अशोक तलांडी ने कहा कि आदिवासी समाज हिंसा नहीं चाहती। समाज जोडऩे पर भरोसा रखती है तोडऩे पर नही। नारायणपुर घटना पर सर्व आदिवासी समाज को बदनाम किया जा रहा है। उस घटना में समाज शामिल नहीं था। आदिवासी नेता ने कहा की सरकार आरक्षण मसले पर गंभीर नही है। सरकार चाहे तो 9 वीं अनुसूची में शामिल कर आरक्षण दे सकती है। सर्व आदिवासी समाज आगामी दिनों में बेचापाल और बुरजी में आंदोलनरत आदिवासियों पर अत्याचार की जांच टीम भेजी जाएगी।

अशोक तलांडी ने कहा कि रैली में आनेवालों को प्रशासन ने रोकने की कोशिश की गई थी। हम भीख नही बल्कि हमे संविधान में प्रदत्त अधिकार है वही मांग रहे हैं। सर्व आदिवासी समाज द्वारा नया बस स्टैंड में धरना कर डिप्टी कलेक्टर नाग के माध्यम से सात बिंदुओं में राज्यपाल और सीएम भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपा गया।

अनुसूचित क्षेत्र में तृतीय व चतुर्थ वर्ग के पदों पर स्थानीय आरक्षण किया जाए। सार्वजनिक हित प्रायोजित नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण के लिए रुचि की अभिव्यक्ति भी आमंत्रित कर ली गई है। जिस पर तत्काल रोक लगाया जाए। ज्ञापन में कहा है कि बस्तर संभाग की सभी जिले की अंदरूनी क्षेत्रों में निवासरत आदिवासियों पर पुलिस द्वारा बेगुनाह लोगों को जांच के नाम पर लगातार प्रताडऩा और अन्याय किया जा रहा है, इस पर तत्काल रोक लगाया जाए।  पेशा नियम 2022 के बिंदु क्रमांक 42.1 एवं 42.2 के अनुसार पुलिस अपनी कार्रवाई करें और ग्राम सभाओं को जानकारी देना सुनिश्चित करें। 1 जनवरी 1932 के मिसल रिकॉर्ड खतियान रिकॉर्ड के आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थाई डोमिसाइल नीति को कानूनी रूप देते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा में अधिनियम के रूप में पारित किया जाए। एमएमडीसी में स्थानीय रोस्टर के आधार पर मूल निवासियों की भर्ती में प्राथमिकता के साथ नियुक्ति किया जाए। पेशा नियम 2022 में तत्काल आवश्यक संशोधन मूल पेशा एक्ट 1996 के प्रावधान अनुसार 8 अगस्त 2023 के पहले संशोधित किया जाए।  सामुदायिक संसाधन का अधिकार के दावों पर प्राथमिकता के साथ एक्ट में जो प्रावधान है उसके अनुसार प्रत्येक ग्रामसभा को सामूहिक वन संसाधन का हक मान्यता पत्र जारी किया जाए।

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