सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 6 जनवरी। हरिचाँद गुरुचाँद मनिचाँदज्ञ सेवा आश्रम सुकमा की समिति द्वारा विश्व मानव के कल्याण में 21वीं सदी 1812 बंग्ला पंचांग के अनुसार 1218 में अवर्ता हुए युगावतार हरिचाँद ठाकुरजी की वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाई गई।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पावारास स्थित हरि मंदिर में श्री हरिचांदजी का जन्म उत्सव मनाया गया। दो दिवसीय इस आयोजन में बड़ी संख्या में ठाकुरजी के अनुयायी और बंगीय समाज के लोग शामिल हुए। शबरी घाट पूजन व गंगा वरण
पूजन कार्यक्रम गुरुवार से प्रारंभ हुई जो सुबह 11 बजे गंगावरण,ठाकुर जी के भक्त सुकमा की प्रसिद्ध नदी शबरी से मिट्टी के कलश में जल भरकर विभिन्न वाद् यन्त्र शंख ,ढोल ,कासा, मंजिरा के थापो के साथ मत मतावली के गीतों व जयकारों के साथ भक्त घाट पहुंचे जहां वे घाट पुजन कर भक्ती गीत के साथ भक्त परंपरागत ढंग से जल उठा कर उसी क्रम में कार्यक्रम स्थली पहुंचे जहां घटस्थापना व गुरू पादुका पूजन आदि कर्म सम्पन्न हुई।
संध्या 6 बजे से दलों का स्वागत कार्यक्रम प्ररंभ हुआ जो प्रमुख रूप से दो राज्यों के दल भाग लिए लगभग इस वार्षिक उत्सव में 40दलों ने भाग लिया।
एक दल में बीस से तीस की संख्या होती है। दल में युवक, युवतियां व वरिष्ठ तीनों वर्गों के श्रेष्ठ जन शामिल होते है उसके बाद शाम 6 बजे से दल का वरण व सम्मान कर भावार्पण की विनती की गयी।
नगर भ्रमण प्रभात फेरी
अगले दिन सुबह बजे ठाकुर जी के भक्तों व बंगीय समाज के सदस्यों द्वारा प्रभातफेरी कीर्तन निकाली गयी जो पावारास मंदिर से निकलकर राजवाड़ा, महेश्वरी पारा व चौक-चौराहों से होते हुए पूरे नगर में जगह-जगह प्रभात दल का भव्य स्वागत किया गया। इसी के साथ दल वापस कार्यकर्म स्थली पहुंची जहां उपस्थित भक्तों ने स्वागत किया।
महाप्रसाद वितरण व समापन
समिति द्वारा प्रति वर्ष होने वाले इस महाप्रसाद की व्यवस्था समाज (समिति)द्वारा की गई। लगभग 5 हजार लोग इस भण्डारा में प्रसाद ग्रहण किए। महा प्रसाद ग्रहण के साथ ही दलों की विदाई का क्रम शुरू हुआ और इसी के साथ प्रतिवर्ष होने वाले महोत्सव का भव्य समापन हुआ।