बालोद
बदनाम करने की साजिश, किया जाएगा एफआईआर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 8 फरवरी। बालोद जिले के गुंडरदेही नगर में एक मंदिर है, जिसे चंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर को लेकर एक तस्वीर तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हुई है और उसको लेकर तरह-तरह के तर्क-वितर्क दिए जा रहे हैं, जिससे कहीं न कहीं सौहार्द बिगड़ सकता है।
पूरे मामले को लेकर ‘छत्तीसगढ़’ ने तफ्तीश की तो पता चला कि यह मंदिर एकता और अखंडता की एक जीती जागती मिसाल है। यहां पर हिंदू-मुस्लिम दोनों एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं और उसकी चादर भी इसी मंदिर से ही निकलती है। यहां पर जब मंदिर का दरवाजा खोला जाता है तो उससे पहले सैयद बाबा को लोबान का धूप दिखाया जाता है। ज्ञात हो कि पूरे देश में गिनती के कुछ ही जगह ऐसे हैं जहां पर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती हैं।
मिल-जुलकर पूजा अर्चना
यहां पर सभी धर्म मिल-जुलकर पूजा अर्चना करते हैं। यहां के पूर्व विधायक एवं मंदिर के संस्थापक परिवार के सदस्य राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि यहां पर अभी तक हिंदू मुस्लिम टकराव की कोई स्थिति नहीं बनी है। सभी मिलजुल कर यहां पूजा-अर्चना करते हैं।
तकरीबन 100 सालों का इतिहास
जिला बालोद के गुंडरदेही के हटरी बाजार में चण्डी मंदिर है। जहां हिन्दू मुस्लिम एक साथ पूजा करते हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 100 वर्षों पुराना है और सैयद बाबा की पूजा भी उतनी ही होती है जितनी मां चंडी की होती है। आज भी जब हम गए तो हिंदू है मुसलमान साथ में धूप लेकर अगर बत्तियां जला कर साथ में पूजा-अर्चना कर रहे थे। यहां पर किसी तरह की कोई खटास हिंदू और मुसलमान के बीच में देखने को नहीं मिलेगी।
मंदिर के पुजारी खोरबाहरा राम ने बताया कि सैयद बाबा को पूर्वजों ने यहां पर स्थापित किया था। जो बातें सोशल मीडिया में चल रही है वह एकदम गलत है। यहां पर सभी मिलकर पूजा अर्चना करते हैं। उन्होंने कहा कि जितनी पूजा माता की होती उतनी सैयद बाबा की भी हिंदू मुस्लिम के बीच कोई भी दूरियां नहीं है। सैयद बाबा के नाम से सभी दुख दर्द दूर होते हैं। नवरात्र पर विधि विधान से ज्योति कलश की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है।
किसी ने नहीं किया कोई दावा
गुंडरदेही नगर के सदर मोहम्मद आरिफ खान ने बताया कि यहां पर बाबा अलाउद्दीन बगदादी और चंडी मंदिर समिति का लगाओ आपस में काफी बरसों से सब मिलजुल कर काम करते हैं। यहां पर कभी कोई भेदभाव नहीं आया पूरे हिंदुस्तान में यह नगर एक मिसाल है यहां पर जो राजपरिवार है राजा साहब है उन्होंने मजार का एक टुकड़ा या फिर सेहरा मंदिर में रखा हुआ है किंतु इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि कभी किसी मुसलमान ने इसे अपना होने का दावा किया ना किसी हिंदू ने इस मंदिर पर अपना अधिकार जताया यह एक ऐसी जगह है जहां हिंदू मुस्लिम मिल जुलकर रहते हैं।
एकजुटता को खत्म की साजिश
सदर मोहम्मद आरिफ खान ने आगे कहा कि जिन्होंने भी इस मंदिर की तस्वीरों को लेकर शब्दों में हेराफेरी करते हुए एकजुटता को खत्म करने की कोशिश की है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम सब अमन पसंद लोग हैं आवाम चाहती है कि हिंदू मुस्लिम हमेशा एक साथ रहे, परंतु यह वह लोग हैं जो न हिंदू से प्रेम करते हैं न मुसलमान से। यह केवल एक दूसरे के बीच में नफरत फैला कर अपनी रोटियां सेकना चाहते हैं। वहीं नगर के मुस्लिम समाज के कादिर मंसूरी ने बताया कि जो यहां राजा साहब थे ठाकुर निहाल सिंह जी वह बहुत इल्म पसद इंसान थे और उन्होंने कभी भी किसी का अहित नहीं किया। उनकी मंशा थी हिंदू मुस्लिम एकता और अखंडता बनी रहे और इस मंदिर को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहे हैं वह निहायती गलत है। अंतिम जमींदार ने की थी स्थापना
गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं मंदिर समिति के संस्थापक परिवार के सदस्य राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि मेरे दादाजी ठाकुर निहाल सिंह जोकि 52 गांव के जमींदार थे और इस क्षेत्र के अंतिम जमींदार हुए, उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी और हम राज परिवार से जुड़े हुए हैं उन्होंने कहा कि ठाकुर जमीदार निहाल सिंह उनका वर्चस्व काफी अच्छा था और जब वह मंदिर के आंगन में बैठते थे तो 20 से 25000 लोगों की भीड़ यहां पर लगी रहती थी और आज जो कोई भी इस मनसा से आगे बढ़ रहा है कि हम यहां एकता और अखंडता को तोड़ देंगे तो यह गलत है।
कराएंगे एफआईआर-पूर्व विधायक
पूर्व विधायक राजेंद्र कुमार राय ने कहा कि यहां पर जिसने भी झगड़ा फैलाने की कोशिश की है वह यहां के नहीं मुंबई और बाहर के लोग हैं मंदिर की तस्वीर को गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं और हम मंदिर समिति की तरफ से जल्द ही स्थानीय थाने में एफ आई आर दर्ज कराएंगे अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ ही कराएंगे ताकि इस तरह की मंशा आगे कोई ना रख पाए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि चंडी माता की यह मूर्ति स्थानीय रामसागर तालाब से निकली हुई थी और जब मूर्ति निकली तो वहां पर मुस्लिम समुदाय का पवित्र चांद भी उसी तालाब से निकला इस तरह ठाकुर निहाल सिंह जी ने माता की स्थापना के साथ यहां पर एक हरा पवित्र सैयद बाबा साहब का 786 वाला चादर की भी स्थापना की, तब से आज तक यह मंदिर पूरे हिंदुस्तान में वसुधैव कुटुंबकम के तर्ज पर लोगों को जोड़ें हुए रखा है।
प्रशासन अलर्ट
सोशल मीडिया में इस तरह की अफवाह फैलने के बाद स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी भी वहां पर मौजूद रहेष पूर्व विधायक सहित मंदिर समिति के सदस्य में स्थानीय जनता वहां पर डटी रही, परंतु किसी तरह का अशांति वहां पर देखने को नहीं मिली। सभी मंदिर के पक्ष में एवं हिंदू मुसलमान एकता के पक्ष में अपनी अपनी बातों को रख रहे थे।
हालांकि जो अशांति सोशल मीडिया में फैलाने की कोशिश की गई है ही गई है उससे स्थानीय प्रशासन के कान खड़े हो गए हैं साथ ही प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी यह सोशल मीडिया अपना काम कर रहा है, परंतु स्थानीय स्तर पर सब कुछ शांत है और इस मंदिर से कभी भी कोई भी अप्रिय घटना हिंदू मुस्लिम संबंधित नहीं घटित हुई है।