सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 18 मार्च। जिला मुख्यालय के कुम्हार रास में स्थित आडोटोरियम के बगल में सुकमा जिले के पंचायत सचिवों की शासकीयकरण की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी नहीं होने से प्रदेश के 10568 पंचायत में कार्यरत सचिव आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इसी कड़ी में प्रदेश के सभी 146 ब्लाक के ग्राम पंचायत के सचिवों ने मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है। सचिवों के हड़ताल पर जाने से शासन की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर असर पडऩे लगा है।
प्रदेश पंचायत सचिव संगठन के प्रांतीय सचिव लखेश्वर यादव के निर्देश पर सुकमा जिला अध्यक्ष गिरीश कश्यप के मुताबिक पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दिये गए आश्वासन के बाद भी 6 मार्च को बजट में सचिवों के लिए शासकीयकरण के संबंध में कोई ठोस पहल नहीं किया गया, जिससे सचिवों में काफी रोष व्याप्त है और अब वे हड़ताल पर जाने को मजबूर हो गए हैं।
गिरीश कश्यप के मुताबिक पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे एवं मुख्यमंत्री भूपेश ने बताया कि पंचायत सचिव शासन के 29 विभागों के 200 प्रकार के कार्यों का सफल क्रियान्वयन कर प्रशासन के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करते हैं, लेकिन राज्य सरकार की ओर से विगत चार वर्षों से छलावा ही मिल रहा है, इस दौरान केवल आश्वाशन ही पंचायत सचिवों को मिला है।
पंचायत सचिवों के हड़ताल पर चले जाने से शासन की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर खरीदी का काम बंद हो गया है।
इसके साथ ही निराश्रितों को पेंशन भुगतान, जन्म-मृत्यु पंजीयन, मनरेगा, वर्मीखाद विक्रय, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, जलजीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, राशनकार्ड, प्रशासन आपके द्वार सहित समस्त निर्माण कार्य ठप्प हो जायेंगे।
इसी प्रकार आगामी अप्रैल माह में होने वाले सामाजिक आर्थिक जनगणना के सर्वेक्षण पर भी इसका असर पड़ेगा। वहीं पंचायत सचिवों के हड़ताल में जाने से ग्रामीणजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस मौके पर धरना स्थल में जिलाध्यक्ष गिरीश कश्यप, सचिव जितेंद्र राव पेद्दी , कोषाध्यक्ष पारूल सिंह, सहसचिव अमित सोड़ी, प्रवक्ता लक्ष्मण कश्यप, मिडिया प्रभारी गोपाल अजमेरा, उपाध्यक्ष पदमा राव, कृष्ण प्रकाश, लोकनाथ कश्यप, सलाहकार सीताराम कश्यप, अजय मण्डावी,भिखारी मांझी, संयोजक उदय कुमार संरक्षक प्रवीण सोड़ी उपस्थित रहे। वहीं जब तक हमारी मांग पूरी नही होगी हम आंदोलन धरना करते रहेंगे।जिसकी जिम्मेदारी शासन - प्रशासन की होगी।