रायपुर

गीता वैश्विक ग्रन्थ है उसमें कहीं भी हिन्दू या सनातन शब्द नहीं लिखा-रमेश ओझा
15-Apr-2023 7:40 PM
गीता वैश्विक ग्रन्थ है उसमें कहीं भी हिन्दू या सनातन शब्द नहीं लिखा-रमेश ओझा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 रायपुर, 15 अप्रैल। राजधानी के इंडोर स्टेडियम में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के अंतिम दिन में कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने कहा कि कथा यात्रा भी जीवन यात्रा की तरह है, एक के बाद एक यात्रा है  डेस्टिनेशन नही  है, डेस्टिनेशन तो केवल मुक्ति है। इसलिए इस यात्रा का भरपूर आनंद लें।

भगवान भक्तों के लिए रूप धरते हैँ अन्यथा ब्रह्म रूप तो निर्गुण और निराकार हैं सर्वत्र, सर्वज्ञ, कालद्रष्टा हैं। पर भक्तों के लिए वे सगुण साकार रूप में पृथ्वीलोक में आकर लीलाएँ करते हैं। रूप , नाम, लीला और धाम। रुप धरने पर नाम की भी जरूरत पड़ती है, अत: सभी अवतारों को एक नाम मिला। भगवान का जन्म दिव्य है इसलिए प्रागट्य कहलाता है लोक मंगल और लोक शिक्षण के लिए भगवान ने रूप धरे। जीव को प्रकृति में रहकर अपने कर्मों के अनुरूप फल पाता है पर भगवान लीला करते हैं और  भगवान की जहाँ लीलाएँ हुईं वह धाम हो गया।

 भागवतगीता  के विषय मे चर्चा करते हुए उन्होंने कहा गीता वैश्विक ग्रन्थ है उसमे कहीं भी हिन्दू या सनातन शब्द नहीं लिखा है ,क्योकि इसमे संसार के हर प्रश्न का उत्तर है हर ब?े छोटे व्यक्ति, हर धर्म के व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन भरा हुआ है।

संसार मे स्त्री और पुरुष समानता की बात करते हुए उन्होंने कहा , वीमन एम्पावरमेंट का अर्थ ये नहीं है कि उसके पास  कुछ अतिरिक्त हो ,पर बराबर अवश्य हो। घर की  स्त्रियों को मानसिक और शारीरिक कष्ट कभी पहुँचाएँ।  स्त्रियों का सम्मान करें उन्हें सबके सामने तो कभी न अपमानित करें अगर कोई भूल भी हो जाये तो अकेले में कहें।  घर परिवार से सम्बंधित निर्णयों में हर जरूरी सलाह लें ।

उन्होंने बताया साधना करना हो तो चंचलता दोनों साधना में बाधक हैं जब सतोगुण का प्रभाव हो तभी आप भक्ति कर सकते हैं। श्री कृष्ण वैद्य भी हैं वैद् य भी हैं और वेद भी हैं। वो इलनेस को ट्रीट करते है । मानसिक रुग्णता, धार्मिक रुग्णता , सामजिक रुग्णता ,हर तरह की बीमारी को ट्रीट करते हैं उनके पास हर रोग का इलाज है।

 समाज की सभी माताओं से भाई श्री ने कहा विदा के बाद बेटी के वैवाहिक जीवन मे बिल्कुल भी व्यवधान नहीं करना चाहिए। बार बार गौना करके उन्हें अपने वैवाहिक जीवन मे स्थिरता पाने से पहले ही अस्थिर कर देना गलत है, बेटी दामाद हों या बेटा बहु, उनके जीवन को दही की तरह जमने देने के लिए समय और स्पेस देना होगा ,  ये दिए बिना उनके जीवन मे स्थितरता नहीं आएगी। ये पेरेंटिंग  का सबसे बड़ा सूत्र है। बच्चों को कुम्हार की तरह गढ़े, बाहर से थपकाएँ भीतर से दुलारें।

अपनी कथा में पेरेंटिंग, परिवार, रिश्ते जैसे विषय लेकर सात दिन भाई श्री ने कथा के साथ जोडक़र सभी भक्तों को जीवन सूत्र दिए, एक काउंसलर की तरह जीवनयोपयोगी बारीक से बारीक बातें बताई और सुझाव दिए। सकारात्मक विचार रखने की सलाह दी, दुखी मन से जीवन जीने के बदले हँसकर जीने की प्रेरणा दी। व्यास पीठ से समाज के प्रति अपने दायित्वों का सुंदरतापूर्वक निर्वहन करते हुए कथा का समापन किया।

अंतिम दिन मुख्य यजमान पुरोहित परिवार के यश पुरोहित ने  हर तरह के सहयोग के लिए प्रशासन, महापौर, नगर  निगम, समस्त यजमान परिवार, समस्त गुजराती समाज, समस्त कार्यकर्ता,  सुंदर कवरेज के लिए सजग मीडिया,  सातों  दिन के उत्साहपूर्वक उत्सव के लिए समस्त श्रोतागण का आभार प्रदर्शन किया। 

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